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मनमोहक रहा आसमानी आतिशबाजी का नजारा

बुधवार की रात आसमानी आतिशबाजी यानी उल्कावृष्टि का शानदार नजारा देखा गया। इस बार इस खगोलीय घटना की अवधि सात से 17 दिसंबर तक है। 13 व 14 दिसंबर की रात उल्कापात चरम था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 15 Dec 2016 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 16 Dec 2016 05:05 AM (IST)
मनमोहक रहा आसमानी आतिशबाजी का नजारा
मनमोहक रहा आसमानी आतिशबाजी का नजारा

नैनीताल, [जेएनएन]: आसमानी आतिशबाजी यानी उल्कावृष्टि का शानदार नजारा बुधवार की रात को देखा गया। लोगों ने इस मनमोहक दृश्य का आनंद पर्वतों की चोटियों पर जाकर उठाया। साथ ही खगोलीय घटना को कैमरे में भी कैद किया। यह जेमिनीडस मेटियोर नामक उल्कावृष्टि है। अभी 17 दिसंबर तक मामूली रूप से इसे देखा जा सकेगा।

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आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि जेमिनीडस शॉवर हर वर्ष दिसंबर में ही होता है। इस बार इस खगोलीय घटना की अवधि सात से 17 दिसंबर तक है। 13 व 14 दिसंबर की रात उल्कापात चरम था। जिसमें 120 प्रति घंटे की दर से उल्कापात की दर संभावित थी। खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों को इसका बेसब्री से इंतजार था।
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बुधवार शाम आसमान से उल्कावृष्टि शुरू हो गई। जिसका लुत्फ उठाने के लिए लोग पर्वतों की चोटियों की ओर रवाना हो गए और इस अद्भुत खगोलीय घटना का नजारा लेने लगे। करीब एक घंटे तक कई उल्काएं आसमान से गिरती हुई नजर आईं। यह घटना जारी थी कि इसी बीच सुपरमून उदय हो गया और चांद की रोशनी के कारण उल्कावृष्टि का नजर आना कम हो गया।
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डॉ पांडे के अनुसार यह सामान्य खगोलीय घटना है, जो साल में कई बार देखने को मिलती है। स्याह रात में ही उल्कावृष्टि का बेहतरीन नजारा देखा जा सकता है। उल्कावृष्टि धूमकेतुओं द्वारा पृथ्वी के पथ पर छोड़े गए धूलकणों व मलबे के रूप में मौजूद उल्काओं के कारण होती है। जब पृथ्वी धूलकणों के मार्ग से होकर गुजरती है तो पृथ्वी के वातावरण में स्पर्श करते ही यह कण जल उठते हैं। तब आतिशबाजी जैसा मनमोहक नजारा देखने को मिलता हैं।

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