बच्चों में कोरोना के साथ ही बढ़ रहा मानसिक तनाव, आइसोलेशन में रखना भी स्वजनों के लिए बड़ी चुनौती
कोरोनाकाल में किसी ने माता-पिता खोया है तो किसी ने परिवार का करीबी सदस्य। जहां इसका प्रभाव बड़ों पर पड़ा है तो बच्चे व किशोर भी इससे बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं। जिले की 13 काउंसलर्स की टीम पिछले पांच दिनों से काउंसिलंग में जुटी है।
हल्द्वानी, गणेश जोशी : कोरोनाकाल में किसी ने माता-पिता खोया है तो किसी ने परिवार का करीबी सदस्य। जहां इसका प्रभाव बड़ों पर पड़ा है तो बच्चे व किशोर भी इससे बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं। जिले की 13 काउंसलर्स की टीम पिछले पांच दिनों से काउंसिलंग में जुटी है। अब तक जिले के करीब 85 बच्चों की काउंसलिंग की जा चुकी है। इसमें से 15 बच्चों में अधिक मानसिक दिक्कत देखी गई है। वहीं आइसोलेशन ने भी बच्चों में तनाव का स्तर बढ़ा दिया है।
बच्चों में हो रही यह समस्या
मनोचिकित्क डा. गिरीश पांडे बताते हैं, पिछले डेढ़ साल से बच्चों की हर तरह की गतिविधयां बंद हैं। यही गतिविधयां बच्चों के नैसर्गिक विकास के लिए जरूरी है। इस समय जिन बच्चों का कोई अपना खोया है, वो तो परेशान हैं। वहीं माता-पिता के संक्रमित होने पर बच्चों व किशाेरों को अलग रहने पर भी दिक्कत हो रही है। एकाकी परिवारों में यह समस्या अधिक है। दूसरी लहर में बच्चे भी संक्रमित हुए हैं। हालांकि बच्चों में किसी तरह के लक्षण नहीं देखे गए, लेकिन उन्हें आइसोलेशन में रखने में भी जहां स्वजनों की लिए चुनौती बन रहा है तो वहीं अकेले रहने पर बच्चे अधिक तनावग्रस्त हो गए हैं। मोबाइल में गेम खेलने में अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं।
केस एक
बेतालघाट में 16 वर्षीय किशोर संक्रमित मिला है। वह आइसोलेशन में है। जब काउंसलर ने उससे बात की तो नींद न आने, बिना बात पर रोने और चिड़चिड़ा होने की समस्या बताने लगा। अब काउंसलर उन्हें समझा रहे हैं और मनोचिकित्क से भी परामर्श दिलवाया जा रहा है।
केस दो
नैनीताल की 11 वर्षीय बच्चे भी संक्रमित है। वह हमेशा मां के साथ ही सोती है, लेकिन संक्रमण के बाद उसे अकेले रख दिया। वह मायूस हो गई। अपना अधिकांश समय मोबाइल में गेम खेलने में ही बिता रही है। काउंसलर बच्ची से बात करने के साथ ही उनके माता-पिता की काउंसलिंग में जुटे हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चों को कोविड बिहेवियर से परिचित कराएं
- मास्क पहनने व हाथ धोने को प्रेरित करें
- आइसोलेशन में भी उनसे बात करते रहें
- बार-बार उन्हें मोटिवेट करते रहें
- किताबें पढ़ने, संगीत सुनने, ड्रॉइंग के लिए प्रेरित करें
- बच्चों से व उनके सामने नकारात्मक बातें न करें
- सुबह योग, ध्यान व व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें
प्रदेश में संक्रमित बच्चे व किशोर
उम्र संक्रमित
0-9 5600
10-19 24124
एक काउंसर को 50 मरीजों का जिम्मा
जिले में मनोचिकित्सक डा. गिरीश पांडे को नोडल प्रभारी बनाया गया है। उनके निर्देशन में 13 काउंसलर हैं, जिन्हें एक दिन में 50 संक्रमितों की काउंसलिंग करनी है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक डा. गिरीश पांडे ने बताया कि पहले से मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों में भी इस समय मानसिक समस्या बढ़ी है। ऐसे मरीजों की दवा की डोज बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। ऐसे बच्चों को कोरोना के प्रभाव से बचाने की जरूरत है। हिमांशी बिष्ट, परामर्शदाता, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, एसटीएच का कहना है कि शहरों की अपेक्षा गांवों के बच्चे अधिक संक्रमित हैं। इसलिए वहां पर अधिक दिक्कत आ रही है। हम सीधे बच्चों से बात करते हैं, ताकि उन पर किसी का तनाव हावी न हो।
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