दवा की दुकान को खाली नहीं करवा सका मेडिकल कॉलेज, दो साल से बकाया है 10 करोड़ रुपये का किराया
दवा की दुकान के लिए करीब तीन साल पहले वेंटेज बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड का ठेका हुआ था। दो साल से किराया जमा नहीं करने पर शनिवार को कॉलेज प्रशासन की टीम तीन बार दुकान खाली कराने को पहुंची लेकिन नोटिस चस्पा कर लौट आई। इसे लेकर दिनभर खलबली मची रही।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय परिसर में दवा की महंगी दुकान को लेकर फिर विवाद खड़ा हो गया है। दो साल से किराया जमा नहीं करने पर शनिवार को कॉलेज प्रशासन की टीम तीन बार दुकान खाली कराने को पहुंची, लेकिन नोटिस चस्पा कर लौट आई। इसे लेकर दिनभर खलबली मची रही।
दवा की दुकान के लिए करीब तीन साल पहले वेंटेज बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड का ठेका हुआ था। प्रतिवर्ष पांच करोड़ 66 लाख रुपये से किराया चुकाना था। कुछ समय तक ठीक चला। कोविड शुरू होते ही दुकान संचालक ने किराया चुकाना बंद कर दिया। कई जगह पत्राचार किया, लेकिन राहत नहीं मिली। करीब दो साल होने को हैं। 10 करोड़ किराया बकाया हो चुका है। कॉलेज प्रशासन किराया जमा करने को कई बार पत्र भेज चुका है, लेकिन दुकान स्वामी जमा करने को तैयार नहीं है। इस बीच कॉलेज ने नया टेंडर भी निकाल दिया। नोटिस देने के बाद शनिवार को दुकान खाली कराने को लेकर प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी के अलावा कॉलेज प्रशासन व एसटीएच की पूरी टीम पहुंची। टीम पहले 10 बजे पहुंची। फिर दो बजे और फिर चार बजे। प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दुकान खाली नहीं कराई जा सकी। दिन भर अस्पताल परिसर में खलबली मची रही। इससे उधर से गुजर रहे मरीज व तीमारदारों को भी असहजता हुई।
नियम का पालन पहले क्यों नहीं हुआ?
टेंडर की शर्तें में स्पष्ट उल्लेख है कि दवा की दुकान का किराया दो महीने तक जमा नहीं होने पर दुकान खाली करवाई जाएगी। दो साल होने पर भी कॉलेज प्रबंधन महज औपचारिकता ही निभाते रहा। आखिर नियम का पालन पहले क्यों नहीं किया गया?
प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि नोटिस देने के बाद ही दवा की दुकान खाली करवाने को गए थे। संचालक कोई न कोई बहाना बनाते रहा। बाद में दुकान में महिलाओं को बैठा दिया। दुकान का 10 करोड़ रुपये किराया नहीं भरा गया है। इसलिए दुकान खाली करवाई जा रही है।