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उत्‍तराखंड में एमबीपीजी कालेज बना ISRO का नोडल केंद्र, शुरू होंगे आउटरीच कोर्स; जॉब प्रोफाइल के लिए फायदेमंद

ISRO Nodal Center कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नोडल केंद्र बनाया गया है। इसरो के संबंधित आउटरीच कार्यक्रम में पंजीकरण प्रारंभ हो गए हैं। इसमें न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई है। चार सप्ताह का आनलाइन कोर्स 27 अगस्त से 20 सितंबर और 13 सप्ताह का कोर्स 27 अगस्त से 22 नवंबर तक संचालित किया जाएगा।

By sumit joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 03 Aug 2024 02:54 PM (IST)
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ISRO Nodal Center: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नोडल केंद्र

सुमित जोशी, जागरण हल्द्वानी। ISRO Nodal Center:  कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नोडल केंद्र बनाया गया है। केंद्र स्थापित किए जाने के साथ ही यहां अगस्त अंतिम सप्ताह से विद्यार्थियों के लिए आउटरीच प्रोग्राम प्रारंभ किए जा रहे हैं। इनमें चार और 13 सप्ताह के पाठ्यक्रम आनलाइन संचालित किए जाएंगे।

इसरो नोडल केंद्र के समन्वयक डा. नरेंद्र कुमार सिजवाली ने बताया कि रिमोट सेंसिंग एंड डिजिटल इमेज एनालिसिस में चार सप्ताह, बेसिक्स का रिमोट सेंसिंग, ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआइएस), ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) में 13 सप्ताह का पाठ्यक्रम शुरू होगा।

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चार सप्ताह का आनलाइन कोर्स 27 अगस्त से 20 सितंबर और 13 सप्ताह का कोर्स 27 अगस्त से 22 नवंबर तक संचालित किया जाएगा। इसमें एमबीपीजी कालेज सहित क्षेत्र के सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थी आनलाइन माध्यम से पंजीकरण करवा सकते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

डा. नरेंद्र सिजवाली ने बताया कि इसरो के संबंधित आउटरीच कार्यक्रम में पंजीकरण प्रारंभ हो गए हैं। इसमें न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई है। ऐसे में कोर्स को स्नातक, स्नातकोत्तर (सामान्य एवं प्रोफेशनल) के साथ ही पीएचडी कर रहे विद्यार्थी भी कर सकते हैं।

  • पंजीकरण लिंक: https://elearning.iirs.gov.in/edusatregistration/

ज्ञानवर्धन संग अकादमिक व जाब प्रोफाइल के लिए लाभकारी

डा. सिजवाली का कहना है कि रिमोट सेंसिंग एंड डिजिटल इमेज एनालिसिस में चार सप्ताह, बेसिक्स का रिमोट सेंसिंग, ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआइएस), ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) जैसे विषयों में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए यह लाभकारी है।

साथ ही परंपरागत डिग्री पाठ्यक्रम करते हुए इन्हें किया जा सकता है। ऐसे ज्ञानवर्धन तो होगा ही, साथ में अकादमिक और जाब प्रोफाइल भी बेहतर होगी। इसका लाभ छात्रों को करियर में मिलेगा।

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