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Nainital High Court: ग्रामीणों को बिजली-पानी मुहैया कराने के मामले में केंद्रीय पर्यावरण सचिव से मांगा जवाब

कोर्ट को ऊर्जा निगम ने कहा गया कि वह बिजली लगाने को तैयार है। इसमें 14 पेड़ों की लापिंग होनी है। पर कार्बेट इसकी अनुमति नही दे रहा है। कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरफ से कहा कि गया कि इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 04:37 PM (IST)
Nainital High Court: ग्रामीणों को बिजली-पानी मुहैया कराने के मामले में केंद्रीय पर्यावरण सचिव से मांगा जवाब
मामले की अगली सुनवाई को 22 जून की तिथि नियत की है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने रामनगर के आमडंडा खत्ता के निवासियों को बिजली, पेयजल और विद्यालय जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाये जाने के संबंध में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति  संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने भारत सरकार के पर्यावरण सचिव को नोटिस जारी कर 22 जून तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई को 22 जून की तिथि नियत की है। 

बुधवार को कॉर्बेट नेशनल पार्क व ऊर्जा निगम की तरफ से शपथपत्र पेश किए गए। ऊर्जा निगम ने कहा गया कि वह बिजली लगाने को तैयार है। इसमें 14 पेड़ों की लापिंग होनी है। पर कार्बेट इसकी अनुमति नही दे रहा है। कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरफ से कहा कि गया कि इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।

वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनको मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है । बिजली लाइन के लिए कोई पेड़ नहीं काटे जा रहे है। 14 पेड़ों को लापिंग की जानी है। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक नहीं है। अगर एक हेक्टयर में से 75 पेड़ कट रहे हों तब केंद्र सरकार सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।

याचिकाकर्ता वत्सल फाउंडेशन की श्वेता मासीवाल का कहना है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि जारी हो गयी थी। संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है।

इस मामले में अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है।

आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली पानी और शिक्षा के अभाव में कष्टमय जीवन जी रहे हैं और अधिकारियों द्वारा लगातार उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दिलाई जाय।


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