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Haldwani News: प्रसूता को समय से नहीं मिली एंबुलेंस, इलाज न मिलने से तोड़ा दम

24 वर्षीय आस्था को प्रसव पीड़ा होने पर कालाढूंगी अस्पताल लाया गया। उसने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। कुछ ही देर में प्रसूता का रक्तस्राव होने लगा। उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। वह तड़पती रही। रक्तस्राव होता रहा।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 11:27 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jun 2022 11:27 PM (IST)
Haldwani News: प्रसूता को समय से नहीं मिली एंबुलेंस, इलाज न मिलने से तोड़ा दम
नवजात को मां का दूध तक नसीब नहीं हो सका और एक मां अपाहिज व्यवस्था की भेंट चढ़ गई।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल गुरुवार को एक बार तब खुल गई, जब धमोला की प्रसूता को इलाज नहीं मिला और न ही हायर सेंटर तक पहुंचने के लिए समय पर एंबुलेंस मिली। डिलीवरी के बाद रक्तस्राव होने पर प्रसूता को कालाढूंगी अस्पताल से रेफर कर दिया गया।

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डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय पहुंचने पर उसने दम तोड़ दिया। नवजात को मां का दूध तक नसीब नहीं हो सका और एक मां अपाहिज व्यवस्था की भेंट चढ़ गई। पीड़ित परिवार सदमे में है।

धमोला इसाई फार्म निवासी 24 वर्षीय आस्था को प्रसव पीड़ा होने पर कालाढूंगी अस्पताल लाया गया था। उसकी नार्मल डिलीवरी हुई और उसने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। स्वजनों के अनुसार कुछ ही देर में प्रसूता का रक्तस्राव होने लगा। उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। सरकारी सिस्टम का हाल यह था कि उस अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। 

कोटाबाग से भी एंबुलेंस नहीं मिली। जिस समय प्रसूता को इलाज मिल जाना चाहिए था। वह तड़पती रही। रक्तस्राव होता रहा। सिस्टम मूकदर्शक बना रहा। करीब आधे घंटे के बाद रामनगर से एंबुलेंस पहुंची। वहां से आस्था को एसटीएच लगाया गया।

अस्पताल पहुंचने तक एक घंटे से अधिक का समय लग गया। अस्पताल पहुंचने के बाद प्रसूता ने दम तोड़ दिया। रवि का कहना है कि समय पर इलाज मिल जाता और एंबुलेंस मिलती तो मेरा परिवार ऐसे न उजड़ता। इधर, पुलिस ने मजिस्टे्रट के सामने शव का पोस्टमार्टम कराया।

खुशी में पिता ने बांटी मिठाई

बेटी के पैदा होते ही पिता रवि खुश थे। बाजार से मिठाई खरीदी और पूरे अस्पताल स्टाफ को बांटी। उसे पता नहीं था कि उनकी खुशी पल भर बाद मातम में बदल जाएगी। पत्नी की मौत से वह टूट चुके हैं। रवि के माता-पिता की कई साल पहले मौत हो चुकी है।

दूध भी न पिला पाई मां 

बेटी की किलकारी की गूंज सुनकर पिता की आंखों से खुशी के आंसू आ गए थे। मां भी खुश थी। बेटी को दूध पिलाने से पहले ही उसकी तबीयत बिगडऩे लगी। सभी को उम्मीद थी कि एसटीएच पहुंचकर तबीयत में सुधार होगा, लेकिन सिस्टम की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। मातृ मृत्यु दर को कम करने का दावा हवा-हवाई साबित हो गया।

सीएमओ डॉ भागीरथी जोशी का कहना है कि रामनगर की एंबुलेंस प्रसूता को लेकर एसटीएच पहुंची थी, लेकिन कालाढूंगी व कोटाबाग की एंबुलेंस क्यों नहीं मिल सकी। इसकी जांच कराई जा रही है। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।


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