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आखिरी बार फोन पर फौजी पिता से शहीद बेटे ने कहा था - घाटी के हालात बिगड़ रहे हैं पापा

जम्मूू-कश्मीर में जांबाज दिनेश सिंह गैड़ा की शहादत पर हर आंख नम हो उठी। गांव में शोक की लहर है और परिवारों में चीख-पुकार से माहौल गमगीन हुआ है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 08:14 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 08:14 PM (IST)
आखिरी बार फोन पर फौजी पिता से शहीद बेटे ने कहा था - घाटी के हालात बिगड़ रहे हैं पापा
आखिरी बार फोन पर फौजी पिता से शहीद बेटे ने कहा था - घाटी के हालात बिगड़ रहे हैं पापा

दन्यां (अल्मोड़ा) गणेश पांडे : जम्मूू-कश्मीर में जांबाज दिनेश सिंह गैड़ा की शहादत पर हर आंख नम हो उठी। गांव में शोक की लहर है और परिवारों में चीख-पुकार से माहौल गमगीन हुआ है। शहादत से पहले शहीद दिनेश ने एक मई को आखिरी बार अपने फौजी पिता से तीन मिनट तक बात की थी। उसने कहा था कि घाटी के हालात बिगड़ रेह हैं पापा। तब पिता ने खुद के साथ सीमा की हिफाजत का हौसला दिया और देश का मान बढ़ाने को कहा।

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उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में देश के दुश्मनों से लोहा ले जान की बाजी लगाने वाले जांबाज दिनेश सिंह ने बीती एक मई को घर पर फोन किया था। भारतीय सेना में रह देशसेवा कर चुके फौजी पिता गोधन सिंह गैड़ा से बात हुई। बताया कि उसकी पोस्टिंग कुपवाड़ा सेक्टर में हो गई है। यह भी कहा था कि कश्मीर में अशांति बढ़ गई है। आतंकी बार फिर सिर उठाने लगे हैं। तब पिता ने फौज का फर्ज याद दिलाते हुए देश की आन, बान व शान की रक्षा के साथ खुद का खयाल रखने को कहा। यह आखिरी फोन वार्ता थी और बीती शनिवार को जांबाज दिनेश ने अपना फर्ज निभाते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार दोपहर बाद पैतृक गांव पहुंचेगा। समीपवर्ती घाट में वीर सपूत को सैन्य स मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।

पहले मकान, जनेऊ फिर शादी के बुने थे सपने

दिनेश सिंह गैड़ा ने तीन शुभ काम साथ करने के सपने बुने थे। वह परिजनों व गांव वालों से कहता कि पहले मकान बनाऊंगा। फिर जनेऊ और उसके बाद शादी। मकान के लिए उसने बाकायदा कठघरिया (हल्द्वानी) में जमीन ली थी। गंगोलीहाथ में ब्याही उसकी बहन ममता बिलखते हुए बोली- भाई के अरमान अधूरे रह गए। फिर बेसुध हो गई। मां तुलसी देवी सुधबुध खो बैठी है। न आंसू निकल रहे, न जुबां से कोई बात। पथराई आंखें जैसे अपने दिनेश की राह तक रही।

पूरे मिरगांव में नहीं जला चूल्हा

जांबाज दिनेश फौजी ही नहीं बल्कि दिलदार भी था। गांव में विवाह अन्य सभी शुभ कार्यों में वह छुट्टी लेकर शामिल जरूर होता। मिलनसार होने के कारण वह छोटे बड़े सभी का चहेता था। उसकी शहादत से गमगीन पूरे मिरगांव में किसी घर में चूल्हा नहीं जला। बच्चों के सिवा और किसी ने कुछ नहीं खाया।

बोले लोग- याद रहेगा बलिदान

जांबाज सिपाही दिनेश सिंह की शहादत पर विभिन्न सियासी व सामाजिक संगठनों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। विस उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, उपनेता करन सिंह माहरा, विधायक जागेश्वर गोविंद सिंह कुंजवाल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीतांबर पांडे, पूर्व डीसीबी चेयरमैन प्रशांत भैसोड़ा, मदन सिंह भैसोड़ा, सुभाष पांडे आदि ने वीर सपूत को नमन किया।

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