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मंगल की भीतरी परतों का राज खोलेगा मिशन इनसाइट

वह दिन दूर नही, जब मंगल पर मानव बस्ती बसाने का सपना साकार होगा।

By Edited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:01 AM (IST)
मंगल की भीतरी परतों का राज खोलेगा मिशन इनसाइट
मंगल की भीतरी परतों का राज खोलेगा मिशन इनसाइट
रमेश चंद्रा, नैनीताल : वह दिन दूर नही, जब मंगल पर मानव बस्ती बसाने का सपना साकार होगा। इस दिशा में नासा अपने तीसरे मिशन इनसाइट अंतरिक्षयान को मंगल की धरती पर उतारने जा रहा है। इनसाइट यान 26 नवंबर को मंगल की धरती पर कदम रखेगा। अत्याधुनिक उपकरणों से लेस यह मंगल की भूगर्भीय परतों का राज खोलेगा। इनसाइट मिशन पर भारतीय वैज्ञानिक भी नजर लगाए हुए हैं। भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरू के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर ने बताया कि इनसाइट मिशन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह यान लाल ग्रह की भीतरी परतों की भूचल टैक्टोनिक सक्रियता को जायजा लेगा। इससे मंगल की भूकंपीय सक्रियता की जानकारी मिलेगी। इसके अलावा उष्मीय संचरण के बारे में पता चल पाएगा। मंगल के आसमान पर उल्कापात की खगोलीय घटनाओं के बारे में जानकारी जुटा पाने में सक्षम होगा। इस यान में एक रोबोटिक भुजा लगाई गई है, जो 2.5 मीटर लंबी है। इनसाइट मंगल की धरती के पांच मीटर के भीतर भाग को ड्रिल कर सकेगा। इसके अतिरिक्त यान में अलग से दो क्यूब सैट भी लगाए गए हैं। यह दोनों मिनी यान के समान हैं, जो मंगल पर उतरने की बजाय पास से होकर आगे निकल जाएंगे। इस क्यूब सैट से मंगल के वातावरण समेत कई अन्य जानकारी मिलेगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि वास्तव में यह मिशन मंगल ग्रह पर मानव बस्ती बसाने में महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएगा। नासा इससे पहले अपोर्चीनीटी व क्यूरियोसिटी मिशन को मंगल की धरती पर उतार चुका है। यह दोनों मंगल के बारे में अनेक जानकारियां जुटाने में कामयाब रहे हैं।
वनीला आइसक्रीम पर लैंड करेगा इनसाइट :
इनसाइट यान मंगल के विषुवत क्षेत्र के समीप इलीसियम प्लैनेसिया नामक स्थान पर लैंड करेगा। नासा के वैज्ञानिकों ने वनीला आइसक्रीम नाम दिया है। यह स्थान सपाट हैं। इसके समीप ही प्राचीन ज्वालामुखी भी है।
चुनौतियों से भरा है यान को लैंड कराना : किसी भी यान को मंगल की भूमि पर लैंड करा पाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। मंगल के वातावरण प्रवेश करते ही यान की हीट शील्ड एक हजार सेंटीग्रेड गर्म हो जाती है। आखिर में पैराशूट की मदद से जमीन में सीधा लैंड कराना चुनौतीपूर्ण है। नासा ने इस यान को पांच मई को प्रक्षेपित किया था।

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