जौंस इस्टेट में बांज के दर्जनों पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी
जौंस इस्टेट में बांज के दर्जनों पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी है। इस कार्य में वन विभाग की संलिप्तता भी सामने आ रही है।
भीमताल, [जेएनएन]: जौंस इस्टेट में बांज के दर्जनों पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी है। इस कार्य में वन विभाग की संलिप्तता भी सामने आ रही है।
दरअसल, जौंस इस्टेट के घने जंगल में एक बिल्डर ने लगभग सौ नाली जमीन खरीदी है। पूरा क्षेत्र संरक्षित बांज के पेड़ों से भरा पड़ा है। बिल्डर ने यहां पहुंचने के लिए सड़क भी बना ली है। अब यहां मकान बनाने के लिए उसे पेड़ों को हटाना है। इसके लिए उसने वन विभाग से पेड़ों की गिनती कराई है। मगर इस गिनती में वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
वन विभाग ने पेड़ों की गिनती करने के बाद उसमें टिन की पत्ती से पेड़ संख्या भी अंकित की है। पर इस गिनती में बिल्डर की सुविधा अनुसार कई सौ वर्ग मीटर में पेड़ों को शामिल नहीं किया है। छोड़े गए पेड़ों की संख्या कई दर्जन से ऊपर है। इसी से वन विभाग पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में कई दर्जन संरक्षित बांज के पेड़ों पर आरी चलाने की अनुमति वन विभाग ने अपरोक्ष रूप से बिल्डर को दे दी है। स्थानीय लोगों ने डीएफओ से इसकी शिकायत की है।
इधर, निदेशक बटर फ्लाई शोध संस्थान पीटर स्मैटाचैक ने भी वन विभाग से पूरे क्षेत्रों में इमानदारी के साथ गिनती करने की मांग की है। इनसेट क्या है मामला जिस स्थान पर बिल्डर ने जमीन खरीदी है, वह घना जंगल है। यहां तभी निर्माण हो सकता है, जब हर एक मीटर में एक पेड़ हटाया जाए। वन विभाग ने अपनी गिनती को इस प्रकार किया है कि जो पेड़ निर्माण में बाधक हो सकते हैं, उनकी गिनती ही नहीं की है। भविष्य में निर्माण करने वाला उन पेड़ों को आसानी को काट सकता है।
दरअसल, निर्माण के लिए जब नक्शा प्रस्तुत किया जाता है, तो उसमें पेड़ों की स्थिति भी अंकित करनी होती है। यदि निर्माणकर्ता इस प्लाट में पूरे पेड़ों की स्थिति अंकित करता है तो इस घने जंगल में एक कमरे का निर्माण भी संभव नहीं है। टीआर बीजूलाल (डीएफओ नैनीताल) का कहना है कि मामले की जानकारी मिली है। मामला गंभीर है। इसके जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
यह भी पढ़ें: उच्च हिमालयी क्षेत्र में अब इस तरह चलेगा वनों की 'सेहत' का पता
यह भी पढ़ें: पहाड़ में नहीं टिक रही मिट्टी, सालाना हो रहा इतने टन का क्षरण