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टैक्स के विरोध में बंद रहीं अंग्रेजी शराब की दुकानें, कारोबािरयों ने कहा लॉकडाउन में व्यवसाय चौपट

शराब की दुकानों पर मांगों को लेकर गुरुवार को अंग्रेजी शराब के कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। उनका कहना है कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 02:09 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 06:54 PM (IST)
टैक्स के विरोध में बंद रहीं अंग्रेजी शराब की दुकानें, कारोबािरयों ने कहा लॉकडाउन में व्यवसाय चौपट
टैक्स के विरोध में बंद रहीं अंग्रेजी शराब की दुकानें, कारोबािरयों ने कहा लॉकडाउन में व्यवसाय चौपट

हल्द्वानी, जेएनएन : सात सूत्री मांगों को लेकर अंग्रेजी शराब के विक्रेताओं ने शुक्रवार को कुमाऊं भर में हड़ताल का ऐलान किया था। हालांकि हड़ताल में नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व चंपावत जिले का ही साथ मिला। पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा में शराब की दुकानें खुली रही। वहीं, आबकारी अधिकारियों ने बताया कि वार्ता के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित कर दी गई। शनिवार से  सभी जगह विदेशी मदिरा की दुकानें खुलेगी।

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नई दुकानों के नवीनीकरण, लॉकडाउन में लाइसेंस फीस माफ करने समेत सात मांगों को लेकर मुखर हुए अंग्रेजी शराब के कारोबारियों ने शुक्रवार को कुमाऊं में दुकानें बंद रखने का फैसला लिया था। कारोबारियों का कहना था कि मार्च व उससे पहले का अधिभार रिफंड होना चाहिए। क्योंकि लॉकडाउन के दौरान स्टाफ सैलरी, दुकान किराया और बैंक लोन की वजह से आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

ऐसे में पिछले साल की तरह शराब व बीयर में मुनाफा 25 प्रतिशत करने के साथ आबकारी नीति के अनुसार सभी खर्चों में 20 प्रतिशत मुनाफा दिया जाए। वहीं, संयुक्त आबकारी आयुक्त केके कांडपाल ने बताया कि शुक्रवार को 160 दुकानें बंद रही और 90 खुली। वार्ता के बाद शराब कारोबारियों मान गए। आज से सभी जिलों में दुकानें खुलेगी।

वसूली में जोर-जबरदस्ती न की जाए: इंदिरा

शराब कारोबारियों ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश से मुलाकात अपनी समस्या बताई थी। जिस पर इंदिरा ने फोन पर सीएम से वार्ता की। नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक शराब कारोबारियों ने उन्हें बताया था कि माल की बिक्री के हिसाब से सरकार को पैसों का भुगतान किया जाएगा। क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में उन्हें भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इंदिरा के मुताबिक सीएम ने कारोबारियों की समस्या के समाधान को लेकर आश्वासन भी दिया। जिसके बाद संयुक्त आबकारी आयुक्त केके कांडपाल को फोन कर इंदिरा ने कहा कि वसूली को लेकर किसी से जोर-जबरदस्ती न की जाए।

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