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जिंदा को मृत और मृतक को जिंदा दिखा बीमे की राशि हड़पते थे अधिकारी व कर्मचारी, 13 पर मुकदमा

जनश्री बीमा योजना में लाखों रुपये का घोटाले मामले में समाज कल्याण विभाग ने 13 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 09:11 AM (IST)
जिंदा को मृत और मृतक को जिंदा दिखा बीमे की राशि हड़पते थे अधिकारी व कर्मचारी, 13 पर मुकदमा
जिंदा को मृत और मृतक को जिंदा दिखा बीमे की राशि हड़पते थे अधिकारी व कर्मचारी, 13 पर मुकदमा

काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) जेएनएन : जनश्री बीमा योजना में लाखों रुपये का घोटाले मामले में समाज कल्याण विभाग ने 13 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मामले में जनहित याचिका दायर होने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को मामले की जांच के निर्देश दिए थे। समाज कल्याण निदेशक की जांच में शिकायत सही पाए जाने 13 अधिकारी/कर्मचारी व ग्रामीणों सहित अन्य के खिलाफ लोक धन का कूटरचित तरीके से गबन करने का केस दर्ज कराया है। 

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राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम की जनश्री बीमा योजना प्रदेश में शुरू की गई थी। इसमें बीपीएल परिवार के किसी व्यक्ति की 60 साल की उम्र से पहले स्वाभाविक मौत होने पर आश्रितों को 30 हजार और दुर्घटना में मौत होने पर 75 हजार रुपये का भुगतान करने का प्रावधान था। यह लाभ मौत होने के एक साल के अंदर दस्तावेज उपलब्ध कराने पर ही मिलता था। यह राशि भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से बैंक या डाकघर के मृतक के आश्रितों के खातों में ट्रांसफर की जाती थी। ग्राम फिरोजपुर काशीपुर निवासी एक व्यक्ति ने अफसरों से सेटिंग कर फर्जी तरीके से वर्ष 2007 में गांव के ही 19 लोगों के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान करा लिया। जिंदा लोगों को मृत व मृतक को जिंदा दिखाकर लाखों का गबन किया गया। स्थानीय निवासी रामकिशोर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर लाखों के घोटाले की शिकायत की थी। हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए शासन को मामले में जांच कराए जाने के लिए आदेशित किया था। इस मामले में जांच अधिकारी निदेशक समाज कल्याण उत्तराखंड को नियुक्त किया गया। जांच अधिकारी द्वारा जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई। जिसके बाद शासन ने हाईकोर्ट में आख्या प्रस्तुत की।

इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ केस 

रिपोर्ट में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी फिरोजपुर गिरवर सिंह, सहायक समाज कल्याण अधिकारी काशीपुर परमवीर सिंह, कनिष्ठ लिपिक उत्तराखंड बहुउद्देशयीय वित्त एवं विकास निगम ऊधमसिंह नगर राजेंद्र कुमार, पोस्ट मास्टर मुख्य डाकघर रुद्रपुर प्रेम प्रकाश, पोस्ट मास्टर प्रधान डाकघर काशीपुर बीसी पांडेय, पोस्ट मास्टर कुंडेश्वरी बीसी तिवारी, पोस्ट मास्टर धनौरी निर्मला देवी, पोस्ट मास्टर किला स्ट्रीट अंजू गुप्ता, पोस्ट मास्टर काशीपुर बीसी पांडेय, शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा काशीपुर अजय कुमार श्रीवास्तव, शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक एडीबी काशीपुर विरेंद्र कुमार जोशी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम पेंशन एवं समूह इकाई कनाट प्लेस देहरादून चंद्र प्रकाश घिल्डियाल, ग्राम फिरोजपुर काशीपुर निवासी रामवती पत्नी स्व. सतपाल एवं अन्य संबंधित ग्रामीणों को मामले में दोषी पाया गया। आरोपित अधिकारी/कर्मचारियों ने ग्रामीणों को अपात्र होते हुए भी अनाधिकृत रूप से कूटरचित मुहर, हस्ताक्षर एवं अभिलेखों का बिना परीक्षण किए अपने स्तर से अग्रसारित किए जाने का कार्य किया। साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही करते हुए लोक धन का दुरुपयोग किया। सहायक समाज कल्याण अधिकारी काशीपुर ललिता रानी को मामले में वादी बनाते हुए कोतवाली में बुधवार को सभी आरोपितों के खिलाफ धारा 420 और 409 धोखाधड़ी कर गबन किए जाने के मामले में केस दर्ज किया है। 


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