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संवेदनशील तराई के जंगल में फ्रंटलाइन स्टाफ की कमी, फॉरेस्ट गार्ड व फॉरेस्टर के 456 पद खाली

नेपाल तक से सटे तराई के जंगल में फील्ड स्टाफ की कमी सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी। संवेदनशील माने जाने वाले पांच डिवीजनों के जंगल में फॉरेस्ट गार्ड व फॉरेस्टर मिलाकर कुल 456 पद रिक्त है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 10:44 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 10:44 AM (IST)
संवेदनशील तराई के जंगल में फ्रंटलाइन स्टाफ की कमी, फॉरेस्ट गार्ड व फॉरेस्टर के 456 पद खाली
नेपाल तक से सटे तराई के जंगल में फील्ड स्टाफ की कमी सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी।

हल्द्वानी, जेएनएन : नेपाल तक से सटे तराई के जंगल में फील्ड स्टाफ की कमी सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी। संवेदनशील माने जाने वाले पांच डिवीजनों के जंगल में फॉरेस्ट गार्ड व फॉरेस्टर मिलाकर कुल 456 पद रिक्त है। फॉरेस्ट गार्ड विभागीय मानकों से तीन गुना ज्यादा जंगल की रखवाली कर रहे हैं। कई बार प्रस्ताव भेजने के बावजूद फ्रंटलाइन स्टाफ मुहैया नहीं हो सका। महकमे के अधिकारियों को फॉरेस्ट गार्ड भर्ती से काफी उम्मीद थी। मगर धांधली के आरोपों में घिरी भर्ती प्रक्रिया ने यह उम्मीद भी तोड़ दी।

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पश्चिमी वन वृत्त के तहत तराई का जंगल आता है। हल्द्वानी, तराई पूर्वी, तराई केंद्रीय, तराई पश्चिमी व रामनगर डिवीजन का हिस्सा नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व चंपावत जिले तक आता है। वन वृत्त में फॉरेस्ट गार्ड के स्वीकृत 778 पदों के मुकाबले 462 पदों पर तैनाती है। वहीं, फॉरेस्टर यानी वन दारोगा के 336 पद विभाग में स्वीकृत है। लेकिन 196 ही मिल सके। डिप्टी रेंजरों से लेकर प्रशासनिक पदों की भी यही स्थिति है। उत्तर प्रदेश से लेकर नेपाल तक की सीमा से सटे उत्तराखंड के इन जंगलों को तस्करी के लिहाजा से काफी संवेदनशील माना जाता है। लिहाजा, कई रेंजों में डबल चार्ज देकर काम चलाया जा रहा है।


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