कारगिल जंग में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी ने रखी सीडीएस की नींव nainital news
कारगिल जंग में तीनों सेना प्रमुखों के बीच समन्वय की कमी के बाद ही इस पद को लेकर चर्चा शुरू हुई और मोदी सरकार ने तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की मंशा को पूरा किया है।
किशोर जोशी, नैनीताल। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद पर उत्तराखंड के जनरल विपिन रावत की नियुक्ति से पर्वतीय समाज बेहद उत्साहित है। खासकर सैन्य परिवार व उनके नजदीकी इस नियुक्ति को खुद का सम्मान व राज्य का गौरव मान रहे हैं। सेना के विशेषज्ञों के अनुसार कारगिल जंग में तीनों सेना प्रमुखों के बीच समन्वय की कमी के बाद ही इस पद को लेकर चर्चा शुरू हुई और मोदी सरकार ने तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की मंशा को पूरा किया है।
कारगिल जंग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल मिलेट्री ऑपरेशन ले. जनरल (रि) एमसी भंडारी बताते हैं कि कारगिल जंग के दौरान थल सेनाध्यक्ष व वायु सेनाध्यक्ष के बीच समन्वय की कमी महसूस की गई तो तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने के.सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने ही सीडीएस नियुक्ति की सिफारिश की मगर आंतरिक पेचीदगियों की वजह से यह नहीं लागू हो सकी। वाजपेयी सरकार के दौरान की सिफारिश को मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त पर लालकिले की प्राचीर से इसकी घोषणा की। यहां बता दें कि अल्मोड़ा के दन्या से जनरल बीसी जोशी देश के थल सेनाध्यक्ष तो रानीखेत के एडमिरल डीके जोशी नौ सेनाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का सदस्य हो सीडीएस
नैनीताल : लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का सदस्य बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना रणनीतिक व सामरिक दृष्टि से जरूरी है। उन्होंने जनरल रावत का सीडीएस नियुक्त होने को उत्तराखंड के लिए गौरव करार दिया।
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