शाेध की गुणवत्ता सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों से समन्वय बढ़ाएगा कुमाऊं विवि
कुमाऊं विवि प्रशासन अब शोध की गुणवत्ता बढ़ाने व शोध को आम आदमी के जीवनस्तर में सुधार करने को लेकर गंभीर हो गया है।
नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि प्रशासन अब शोध की गुणवत्ता बढ़ाने व शोध को आम आदमी के जीवनस्तर में सुधार करने को लेकर गंभीर हो गया है। विवि अब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ करार कर शोध से संबंधित विकास को धार देगा।
दरअसल कुमाऊं विवि की स्थापना से लेकर अब तक हजारों पीएचडी की उपाधि प्रदान की जा चुकी हैं मगर अधिकांश शोध ग्रंथों का आमजन से कोई सीधा सरोकार नहीं है। तमाम सार्वजनिक मंचों पर भी शोध की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। पीएचडी प्रवेश परीक्षा प्रणाली लागू होने के बाद शोध के स्तर में सुधार हुआ है मगर फिर सुधार की रफ्तार बेहद धीमी है। अब इन्हीं चिंताओं को देखते हुए कुलपति प्रो. केएस राणा ने शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अहम कदम उठाए हैं।
कुलपति ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। जिसमें रिसर्च फंडिंग एंड प्रोजेक्ट फैलोशिप से संबंधित मामलों, यूजीसी रिसर्च ऑडिनेंस-गाइडेंस व पीएचडी परीक्षा, राष्टï्रीय-अंतरराष्टï्रीय शोध संस्थानों के साथ करार, फॉरन कंट्रीब्यूशन एक्ट-2010 तथा विज्ञान एवं उद्योगों में शोध का विकास आदि के माध्यम से शोध की गुणवत्ता बढ़ाने का जिम्मा जलवायु परिवर्तन के मामले में अंतरराष्टï्रीय स्तर पर शोध परियोजना संचालित कर रहे भूगोल विभाग के प्रो. पीसी तिवारी को सौंपा गया है। यूके, आस्टï्रेलिया समेत अन्य देशों के विवि की सहायतित शोध परियोजना का संचालन प्रो. तिवारी द्वारा किया जा रहा है। शोध परिणामों के माध्यम से सरकार को भी मदद मिल रही है।