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जानिए नैनीताल जिले के पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं का रुझान, क्‍यों गौण हुईं बुनियादी जरूरतें

तीस बरस का किशन अपने बच्चे का अच्छे स्कूल में दाखिला कराना चाहता है। घर के पास के सरकारी प्राइमरी स्कूल की दिन-ब-दिन बिगड़ती हालत किशन सालों से देख रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 01:46 PM (IST)
जानिए नैनीताल जिले के पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं का रुझान, क्‍यों गौण हुईं बुनियादी जरूरतें
जानिए नैनीताल जिले के पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं का रुझान, क्‍यों गौण हुईं बुनियादी जरूरतें

हल्द्वानी, जेएनएन : तीस बरस का किशन अपने बच्चे का अच्छे स्कूल में दाखिला कराना चाहता है। घर के पास के सरकारी प्राइमरी स्कूल की दिन-ब-दिन बिगड़ती हालत किशन सालों से देख रहा है। आठ साल पहले 80 छात्र संख्या वाले स्कूल में अब 22 बच्चे हैं। किशन ने इसी स्कूल से पांचवीं की पढ़ाई और फिर नजदीक के जीआइसी से इंटरमीडिएट व बाद में बीए किया। नौकरी के लिए दो साल शहरों में हाथ-पांव मारे। कुछ हासिल न हुआ तो घर के पास खोमचे पर चाय बेचना शुरू कर दिया।

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धारी विकासखंड के एक बूथ से वोट देकर निकले किशन बताने लगे, उन्होंने राष्ट्र सुरक्षा के नाम पर वोट दिया। आखिर देश सुरक्षित होगा तो हम लोग सुरक्षित रहेंगे। बात आगे बढ़ी तो किशन ने परिवार की पूरी स्थिति सामने रख दी। धानाचूली के 80 वर्षीय नर सिंह कहते हैं कि पिछले पांच सालों में सेना को स्वतंत्र रूप से काम करने व दुश्मनों की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने की छूट मिली है। इससे देश का मान बढ़ा है। युवा वोटर हिमांशु व गृहिणी रेनू भट्ट कहती हैं कि उनका वोट देश की तरक्की व विकास के नाम है। पहाड़पानी के एक बूथ पर पूर्व प्रधान व कांग्रेस प्रत्याशी के एजेंट मानते हैं कि युवाओं पर मोदी फैक्टर प्रभावी दिखता है। हालांकि पार्टी के कैडर वोट के प्रति आश्वस्त हैं। फिर कहते हैं कि हरदा का जमीन व लोगों से जुड़ा रहना बेकार नहीं जाएगा।

आधा किमी दूर से चलकर चौरलेख बूथ तक आए 58 वर्षीय हरि राम ने यह कहकर चुप्पी साध ली कि इस बार वोटर के मूड का अंदाज नहीं आ रहा है। काठगोदाम के नगर निगम इंटर कॉलेज बूथ पर रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी ने विश्व फलक पर देश की सुधरती साख के नाम वोट डाला। जब उनसे पूछा गया कि पीएम मोदी अपने पिछले वादों को पूरा नहीं कर पाए, तो उनका जवाब था, 'वादों को वो लोग याद रखें जिनके लिए वो वादे थे।' इसी बूथ पर एक सरदारजी कहते हैं, 'मुकाबला मोदी चेहरे व हरीश रावत की जमीनी पकड़ के बीच होना है। मुकाबले को एकतरफा नहीं आंका जा सकता है।'

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