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नैनीताल में घर के सामने कपड़े सुखाने पर प्रतिबंध, जानिए बायलाॅज की और भी रोचक बातें

चालिए आज आपको बताते हैं उत्तराखंड की दूसरी सबसे पुरानी नगरपालिका नैनीताल के ब्रिटिशकालीन बायलॉज के कई जरूरी और रोचक प्रावधानाें के बारे में।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 09:14 PM (IST)
नैनीताल में घर के सामने कपड़े सुखाने पर प्रतिबंध, जानिए बायलाॅज की और भी रोचक बातें
नैनीताल में घर के सामने कपड़े सुखाने पर प्रतिबंध, जानिए बायलाॅज की और भी रोचक बातें

किशोर जोशी (जेएनएन) : पंचायत, पालिका, निगम जैसे निकायों को संचालित करने के लिए कुछ कायदे-कानून बनाए जाते हैं। प्रशासन, माननीय व गणमान्‍य लोगों द्वारा मनन-मंथन और सहमति से तैयार इन्‍हीं कायदे-कानून के लिखित दस्‍तावेज को बाॅयलॉज कहते हैं। इनता बताना जरूरी इसलिए था क्‍योंकि खबर बाॅयलॉज के ही संदर्भ में है।

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चालिए आज आपको बताते हैं उत्तराखंड की दूसरी सबसे पुरानी नगरपालिका नैनीताल के ब्रिटिशकालीन बायलॉज के कई जरूरी और रोचक प्रावधानाें के बारे में। ये प्रावधान शहर को साफ-सुथरा रखने और प्रदूषण मुक्‍त बनाने में काफी सहायक हैं। यही वजह है कि आज भी प्रबुद्ध लोग शासन व पालिका प्रशासन से शहर की बेहतरी के लिए इस बायलॉज के प्रवधानों को लागू करने का सुझाव देते हैं।

ब्रितानी हुकूमत में बसाए और संवारे गए नैनीताल को साफ-सुथरा व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक प्रभावी बायलॉज भी तैयार किया गया था। इसके तहत सार्वजनिक स्थान पर थूकने या गंदगी करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया था। शहर को साफ सुथरा व खूबसूरत बनाए रखने के लिए घरों के आगे तक कपड़े सुखाने पर पाबंदी का प्रावधान है। इसे साथ ही यातायात का सुचारु बनाए रखने के लिए अपर माल रोड से घोड़ों के आवागमन पर पाबंदी, माल रोड में ट्रैफिक नियंत्रित करने के लिए लेक ब्रिज टैक्स वसूली की व्‍यवस्‍था की गई थी।

बायलॉज के ये प्रावधान शहर की खूबसूरती के लिए जरूरी

नालों के दोनों ओर आठ मीटर दायरे में निर्माण पर पाबंदी, सार्वजनिक मार्ग, झील में गिरने वाले नाले-नालियों में शौच करते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना। शहर में बकरी पालने पर पाबंदी, पालतू जानवर सड़क पर नजर आने पर गौशाला भेजने का प्रावधान है। निर्वतमान पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण बताते हैं कि पालिका बायलॉज के अनुसार जानवर घर में बांध सकते हैं मगर खुला नहीं छोड़ सकते।

आवारा कुत्तों को मारने का आदेश, पालतू का पंजीकरण जरूरी

हाई कोर्ट ने भले ही आवारा कुत्तों के लिए सेल्टर हाउस बनाने का आदेश पारित किया हो मगर नैनीताल पालिका बायलॉज में आवारा कुत्तों को मारने का प्रावधान है। यही नहीं पालतू कुत्तों के लिए लाइसेंस अनिर्वाय है। झील को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए लोअर माल रोड के अलावा झील के इर्द-गिर्द घोड़ों के आवागमन पर तक प्रतिबंध है। ठंडी सड़क के कुछ क्षेत्रों से झील में मछली मारने के लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान है, जो अब नहीं दिए जाते।

छत पर पतनाला बनाना है जरूरी

पालिका के बायलॉज के अनुसार नैनीताल शहर को साफ सुथरा तथा व्यवस्थित बनाए रखने के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। एक तरफ जहां शहर की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए घर के आगे कपड़े सुखाने पर पाबंदी है वहीं हर घर की छत पर पतनाला बनाना जरूरी है। जिससे बरसाती पानी छत से नाली में होते हुए सीधे झील में जा सके। यदि बारिश में किसी घर की छत का पानी इधर-उधर गिरता है तो उसके चालान का प्रावधान किया है।

नैनीताल पालिका में हैं करीब तीन दर्जन बॉयलॉज

पालिका ईओ रोहिताश शर्मा के अनुसार बॉयलॉज दो तरीके से बने हैं। शहर की बेहतरी के लिए पालिका बोर्ड द्वारा बनाए गए प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति ली गई जबकि अब नागर निकाय एक्ट 1916 की धारा-298 के अंतर्गत पालिका बॉयलॉज बना सकती है। ईओ के अनुसार नैनीताल पालिका के करीब तीन दर्जन बॉयलॉज हैं।

बॉयलॉज उल्लंघन से बढ़ी दुश्वारियां

1852 में बनी नगरपालिका ने शहर को प्रदूषण मुक्त व साफ सुथरा बनाने के लिए तमाम जतन किए। बॉयलॉज में सख्त प्रावधान भी किए मगर राज्य बनने के बाद इसको लेकर गंभीरता नहीं बरती गई। नतीजतन शहर में बेतरतीब निर्माण की बाढ़ आ गई जबकि अतिक्रमण की वजह से झील में गिरने वाली सैकड़ों नालियों का वजूद ही मिट गया। इसके अलावा झील में सीवर की गंदगी जाने पर भी सरकारी मशीनरी चुप रहती है।

बॉयलॉज के प्रावधानों का सख्‍ती से कराया जाएगा पालन

इस बारे में नैनीताल के डीएम विनोद कुमार सुमन का कहना है कि नैनीताल पालिका के बॉयलॉज वाकई शहर को साफ सुथरा तथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बॉयलॉज के प्रावधानों का सख्ती से क्रियान्वयन हो, इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।

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