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National Doctor's Day : ये हैं कोरोना फाटइर्स, डटकर कर रहे कोरोना का मुकाबला

National Doctors Day एसटीएच में मेडिसिन विभाग के पांच डॉक्टर ऐसे हैं जो जान जोखिम में डालकर दिन-रात मरीजों की सेवा के लिए समर्पित हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 08:23 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 08:23 AM (IST)
National Doctor's Day : ये हैं कोरोना फाटइर्स, डटकर कर रहे कोरोना का मुकाबला
National Doctor's Day : ये हैं कोरोना फाटइर्स, डटकर कर रहे कोरोना का मुकाबला

हल्द्वानी, गणेश जोशी : कोविड-19 से हर कोई प्रभावित है। इस विषम परिस्थिति में पीडि़तों को हौसला देने के लिए तमाम लोग आगे आए, लेकिन डॉक्टरों का जुनून व हौसला अब भी कायम है। कोरोना फाइटर्स के रूप में कोरोना का डटकर मुकाबला करते दिख रहे हैं। एसटीएच में मेडिसिन विभाग के पांच डॉक्टर ऐसे हैं, जो जान जोखिम में डालकर दिन-रात मरीजों की सेवा के लिए समर्पित हैं। कुमाऊं भर से रेफर किए जा रहे गंभीर मरीजों के इलाज की चुनौती उनके सामने हर समय है। अब तक 342 भर्ती मरीजों में 225 स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। केवल पांच मरीजों की मौत हुई है। इस समय भी कोरोना पॉजिटिव 113 मरीज भर्ती हैं। फिर भी सभी के इलाज के लिए पूरे जज्बे से जुटे हुए हैं। एक जुलाई को डॉक्टर्स डे पर ऐसे योद्धाओं की संघर्ष और चुनौतियां को दर्शाती स्टोरी।

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दिन-रात सेवा में जुटे डॉ. परमजीत

राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित एसटीएच में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. परमजीत सिंह दिन-रात मरीजों के सेवा में जुटे हैं। मार्च से से ही कोविड-19 के नोडल प्रभारी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। एक ही दिन में 80 मरीजों को भर्ती करने की चुनौती हो या फिर 67 मरीजों को डिस्चार्ज करना, सभी कार्यों को पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं।

भूख-प्यास की नहीं रहती याद

मेडिसिन विभाग में ही एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वीके सत्यवली शुरुआत से ही कोविड-19 मरीजों के इलाज में जुटे हैं। घर-परिवार व मित्रों से दूर रहते हुए कई बार भूखा-प्यास रहना मजबूरी है। फिर भी कोरोना का मुकाबला डटकर कर रहे हैं। कहते हैं, इलाज करना हमारा कर्तव्य है। इसे जिम्मेदारी से निभाने में और आनंद आता है।

इलाज में भूल जाते पीपीई किट की गर्मी

भीषण गर्मी में भी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट पहनकर इलाज करना भी किसी तपस्या से कम नहीं है। मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार को भी कोरोना मरीजों के इलाज में रहते हैं, तो पीपीई किट की गर्मी भी भूल जाते हैं। इलाज ही नहीं, बल्कि काउंसलिंग भी करते हैं, ताकि मरीज मन से भी स्वस्थ रहे।

इलाज के जरूरी बच्चों दूर रहना

कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान पहले 10 से 14 दिन की ड्यूटी में घर से बाहर रहना और फिर बच्चों से दूर रहना असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. यतींद्र सिंह की भी मजबूरी तो है, लेकिन कोरोना फाइटर्स के रूप में अपनी सेवा देने के लिए पूरे मनोयोग से जुटे हुए हैं। पिछले तीन महीने से कोविड-19 की ड्यूटी में डटे हुए हैं।

मरीजों को लेकर हैं बेहद संवेदनशील

कोविड-19 मरीजों के पास न परिजन आ सकते हैं और न ही कोई और। ऐसे में बीमारी के साथ ही मानसिक रूप से परेशान मरीजों के लिए परिजन और काउंसलर की भूमिका भी डॉक्टर को ही निभानी है। ऐसे में एसटीएच में सीनियर रेजिडेंट डॉ. असीम रतूड़ी अपनी पूरी ड्यूटी निभा रहे हैं। इलाज के साथ मरीजों का हौसला बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहते।

कैंसर ग्रस्त मरीजों को भी ठीक कर भेजा घर

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण जोशी के नेतृत्व में मेडिसिन विभाग की टीम जुटी रही। कोविड-19 मरीजों में के बीच में कैंसर ग्रस्त मरीज भी पहुंचे, जिसमें से दो मरीजों ने कोरोना को मात दी। एक मरीज को छह बार डायलिसिस करनी पड़ी। इसके लिए कोविड वार्ड में ही डायलिसिस मशीन लगाई गई थी। इसमें प्रोफेसर डॉ. एसआर सक्सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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