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देश के चर्चित मंचीय कवियों के साथ श्रोताओं ने बिताई हंसती-गुदगुदाती खूबसूरत शाम

कवियों ने खूबसूरत अंदाज में अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। देश भक्ति की कविताएं सुनाकर लोगों के दिलों में राष्ट्रभक्ति की भावनाओं का संचार किया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 12:25 PM (IST)
देश के चर्चित मंचीय कवियों के साथ श्रोताओं ने बिताई हंसती-गुदगुदाती खूबसूरत शाम
देश के चर्चित मंचीय कवियों के साथ श्रोताओं ने बिताई हंसती-गुदगुदाती खूबसूरत शाम

हल्द्वानी, जेएनएन : कवियों ने खूबसूरत अंदाज में अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। देश भक्ति की कविताएं सुनाकर लोगों के दिलों में राष्ट्रभक्ति की भावनाओं का संचार किया। साथ ही राजनीति पर जमकर व्यंग्य बाण चलाए। खुशनुमा मौसम और माहौल के बीच देर शाम शुरू हुई हिंदी कविताओं की महफिल देर रात तक चली। श्रोता डटे रहे और आयोजन स्थल पर तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ वाह..वाह की आवाजें गूंजती रही। मौका था दैनिक जागरण की कुमाऊं यूनिट के 15वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किए गए तीन दिवसीय जागरण उत्सव अंतिम दिन कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक संध्या का। 

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रविवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज ग्राउंड में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, दैनिक जागरण हल्द्वानी यूनिट के महाप्रबंधक डॉ. राघवेंद्र चड्ढा, सीनियर मैनेजर मार्केटिंग विनय तिवारी, वुडहिल चेयरमैन विवेक भाटी, जिला पंचायत अध्यक्ष सुमित्रा प्रसाद, पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, मेयर डॉ. जोगेंन्द्र पाल सिंह रौतेला, कांग्रेस नेता महेश शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। श्रोताओं ने तालियां बजाकर कवियों का स्वागत किया तो कवियों ने भी दिल खोलकर श्रोताओं का अभिवादन किया।

तिरंगे में लिपटा घर आऊंगा 

लखनऊ से आए युवा कवि प्रख्यात मिश्रा देशभक्ति की जोशीली कविता सुनाकर श्रोताओं में जोश भरा। उन्होंने फरमाया बोटी-बोटी कर जाऊं इंच इंच बंट जाऊं लाडला न पुरखों की नाक को कटाएगा, या तो तिरंगे में लिपटा घर आऊंगा मैं, या तो यह तिरंगा सीमा पार लहराएगा।

मेरे भारत से ही मेरी पहचान है 

दिल्ली से पधारी कवयित्री खुशबु शर्मा ने प्रख्यात मिश्रा की बात को आगे बढ़ाते हुए अनेकता में एकता का संदेश देती कविता वो है ङ्क्षहदू वो सिख वो मुसलमान हैं, मेरा भारत नहीं मैं कुछ भी नहीं, मेरे भारत से ही मेरी पहचान है सुनाकर वाहवाही बटोरी। 

हर वानर को चाहिए...

पानीपत के नामचीन कवि योगेन्द्र मोदगिल ने राजनीति पर जमकर व्यंग्य बाण चलाए। उन्होंने सुनाया भ्रष्ट राजनीति हुई, चौपट हुआ समाज, हर वानर को चाहिए, किष्किंधा का राज, घर का भेदी तोड़ कर, लंका लीनी जीत, जा हमने भी देख ली, रघुकुल तेरी रीत।

अरबों खरबों बिना डकारे..

कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए डॉ. सुरेश अवस्थी ने बेहतरीन व्यंग्य किया। राजनीति के कुशल मदारी जनता को नित नचा रहे हैं, अरबों खरबों बिना डकारे, बेशर्मी से पचा रहे हैं, संविधान पर पोतें कालिख फिर भी उनका दावा हम तो भैया पन्ना-पन्ना संविधान को बचा रहे हैं। 

कोई चिराग जला दे अगर ...

प्रख्यात शायर डॉ. मंजर भोपाली ने दिल भी क्या चीज बनाई है खुदा ने मंजर एक लम्हा भी ये आराम नहीं कर सकता..शेर सुनाकर अपनी रचनाओं का आगाज किया। उन्होंने सुनाया मैं उसके हाथ की सौ-सौ बलाएं ले लूंगा, कोई चिराग जला दे अगर हवा... इसके बाद मंजर भोपाली ने अपने चिरपरिचित अंदाज में ये मांऐं चलती है, बच्चों के पांव से जैसे, जैसे उधर ही जाएंगी बच्चा जिधर भी जाएगा, बनाइएं न किसी के लिए भी ताज महल, हुनर दिखाया वो दस्ते हुनर भी जाएगा। इसके साथ ही मंजर ने बेटियों के लिए भी हाथ उठाओ मंजर, सिर्फ अल्लाह से बेटा नहीं मांगा करते सुनाकर बेटियों को बचाने का संदेश दिया।

राजनीति जीत गई...

प्रसिद्ध हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र शर्मा के माइक संभालते ही आयोजन स्थल पर हंसी के ठहाके छूटने लगे। उन्होंने बातों-बातों में लोगों को संदेश भी दिया और कविता भी सुनाई। कहा कि इस चुनाव में हर बार की तरह राजनीति जीत जाएगी और देश हार जाएगा। पत्नी पर ज्यादा नहीं कहूंगा कहते हुए उन्होंने दर्शकों की फरमाइश पर भी कविताएं सुनाई। उन्होंने कहा कि कविता का सिर्फ एक काम है आपको धर्मों से अलग करके, जातियों से अलग करके सिर्फ मनुष्य बनाने का काम करे। इसके बाद उन्होंने सुनाया कि तुम्हें हम तुम्हारी कसम जानते हैं, मगर खुद को तुम से कम जानते हैं, किसको किससे मोहब्बत कितनी न तुम जानते हो, न हम जानते हैं। 

रब ने किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी

गाजियाबाद से आए वरिष्ठ कवि डॉ. कुंवर बेचैन ने फरमाया उसने मेरे छोटेपन की इस तरह इज्जत रखी, मैंने दीवारें उठाई, उसने उन पर छत रखी, क्यों हथेली की लकीरों से हैं आगे अंगुलियां, रब ने किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी। इसके अलावा भी कुंवर बेचैन ने अन्य रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की भरपूर वाहवाही बटोरी। 

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