Move to Jagran APP

मैनचेस्टर ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता था काशीपुर, रोचकता से भरी है शहर की पहचान

कुमाऊं का ऐतिहासिक शहर काशीपुर अपने कपड़ों के मार्केट की वजह से एक समय मैनचेस्टर ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 02:47 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 02:47 PM (IST)
मैनचेस्टर ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता था काशीपुर, रोचकता से भरी है शहर की पहचान
मैनचेस्टर ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता था काशीपुर, रोचकता से भरी है शहर की पहचान

काशीपुर, जेएनएन : शायद ही किसी को पता हाे कि कुमाऊं का ऐतिहासिक शहर काशीपुर अपने कपड़ों के मार्केट की वजह से एक समय मैनचेस्टर ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता था। आजादी से पहले काशीपुर में विदेशी कपड़ों की मंडी थी। जहां से पूरे कुमाऊं से लेकर यूपी तक कारोबार होता था। जापान, चीन व इंग्लैंड से कपड़े यहां आते थे। यहां से इनका व्यापार तिब्बत तक होता था। खच्चरों के जरिये पूरे कुमाऊं और तिब्बत तक माल भेजा जाता था। वहां से वापसी में सुहागा व घी लाया जाता था।

loksabha election banner

प्राचीन शहर काशीपुर के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गोविषाण टीला व द्रोणा सागर का जिक्र किया है। उनकी किताब में उल्लेख है कि यह शिक्षा, धर्म व संस्कृति का शहर है। तराई का यह शहर पहले से ही काफी विकसित रहा है। आजादी से पहले यहां जापान से मखमल, चीन से रेशमी व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। इस पेशे से जुड़े करीब दो सौ लोग फेरी लगाते थे। ट्रांसपोर्ट सुविधा न होने से खच्चरों से माल भेजा जाता था, जो गंतव्य तक कई दिनों बाद पहुंचता था। व्यापारी जब लौटते थे तो साथ में पर्वतीय घी व सुहागा लेकर आते थे। सुहागा एक प्रकार का रसायन होता है, जिसका प्रयोग दवाओं के साथ सोना गलाने में किया जाता है। तब काशीपुर को मैनचेस्टर ऑफ हिल्स का नाम मिला था। यहां के कुछ लोग जब मखमली व रेशमी कपड़े पहनकर निकलते थे तो लोग देखते रह जाते थे। 

ट्रांसपोर्ट सुविधा शुरू होने से खत्म हुई मंडी 

आजादी से पहले ही ट्रांसपोर्ट की सुविधा शुरू हुई तो दिल्ली व अन्य शहरों से सीधे माल जाने लगा। वर्ष 1937-38 आते-आते यहां की मंडी खत्म हो गई। यहां वर्तमान में जो पुरानी सब्जी मंडी है, वहां पहले कपड़ों की मंडी होती थी। करीब 50 कपड़ों के व्यापारी थे। आजादी के बाद भी उत्तर प्रदेश हथकरघा निगम ने सूती वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने का प्रयास किया, मगर इसने भी दम तोड़ दिया  ट्रांसपोर्ट की सुविधा होने से कपड़ों की मंडी खत्म हो गई। 

1906 में चली थी पहली ट्रेन 

काशीपुर को औधोगिक शहर के रूप में विकसित ट्रेन सेवा का भी बड़ा हाथ है। काशीपुर का रेलवे स्टेशन आज से करीब 115 वर्ष पहले 1905 में बना था। और काशीपुर में पहली बार रेल वर्ष 1906 में आज से करीब 114 वर्ष पहले आयी थी। इस ट्रेन का नाम (RKR) रोहिलखंड-कुमाऊं रेलवे था। यह ट्रेन मीटर गेज थी। इसके जरिये काशीपुर दिल्ली से सीधे तौर पर जुड़ा और व्यापार को बढ़ावा मिला।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.