कल्याणी संस्था ने गरीब महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, जानिए कैसे
कल्याणी संस्था से जुड़कर तकरीबन 35 महिलाएं आर्थिक रूप से खुद को न केवल सक्षम बना रही हैं, बल्कि समाज में सम्मानजनक जिंदगी भी जी रही हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : यहां महिलाएं असहाय थीं। कुछ महिलाओं का सहारा भी था तो घर का पूरा खर्च चलाने में असमर्थ थी। जिंदगी बेबस सी होने लगी थी, लेकिन इस बीच उनके जीवन में कल्याणी महिला समिति ने उम्मीद की किरण जगा दी है। संस्था से जुड़कर आज ऐसी 35 महिलाएं आर्थिक रूप से खुद को न केवल सक्षम बना रही हैं, बल्कि समाज में सम्मानजनक जिंदगी भी जी रही हैं।
प्रतिमाह तीन से पांच हजार कमाती हैं महिलाएं
गरीब महिलाएं साल भर कुछ न कुछ काम करती रहती हैं। कभी पिछौड़े बनाती हैं तो कभी स्थानीय उत्पादों के जरिये आजीविका अर्जित करती हैं। अचार बनाने के अलावा होली, दीपावली व रक्षाबंधन पर विशेष प्रोडक्ट तैयार करती हैं। होली में जैविक रंग बनाती हैं। दीपावली में मोमबत्ती और रक्षाबंधन में राखियां बनाकर बाजार में बेचती हैं। इससे महिलाएं प्रतिमाह तीन से पांच हजार रुपये कमा लेती हैं।
दूसरे शहरों में भी लगाए जाते हैं स्टॉल
महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को हल्द्वानी के अलावा देहरादून, दिल्ली, बरेली, लखनऊ व मुंबई में भी स्टॉल लगाकर बेचे जाते हैं। डिमांड के आधार पर कपड़े के बैग व गमले में पेंट भी करती हैं।
गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए बनाई संस्था
डॉ. तनुजा मेलकानी, अध्यक्ष, कल्याणी महिला समिति ने बताया कि गरीब महिलाओं के उत्थान को देखते हुए संस्था बनाई है। यह संस्था पूरी तरह महिलाओं को ही समर्पित है। हम उन्हें संसाधन मुहैया करा देते हैं, बाकी मैनेजमेंट भी खुद महिलाएं ही संभालती हैं। इन महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों की डिमांड लगातार बढ़ रही है।
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