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तीसरे दिन भी बंद रहा कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग, चट्टान का मलबा आने से 18 गांवों का संपर्क कटा

चीन सीमा तक जाने वाला कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग तीसरे दिन भी यातायात के लिए नहीं खुल सका है। तीनतोला के पास खिसकी विशाल चट्टानों का मलबा अभी तक नहीं हटाया जा सका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 06:44 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 08:37 PM (IST)
तीसरे दिन भी बंद रहा कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग, चट्टान का मलबा आने से 18 गांवों का संपर्क कटा
तीसरे दिन भी बंद रहा कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग, चट्टान का मलबा आने से 18 गांवों का संपर्क कटा

पिथौरागढ़, जेएनएन : चीन सीमा तक जाने वाला कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग तीसरे दिन भी यातायात के लिए नहीं खुल सका है। तीनतोला के पास खिसकी विशाल चट्टानों का मलबा अभी तक नहीं हटाया जा सका है। जिससे उच्च हिमालयी सात गांवों सहित करीब डेढ़ दर्जन गांव अलग थलग पड़े हैं। ग्रामीणों को पैदल चलकर गांवों तक पहुंचना पड़ रहा है। 

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कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में तीन दिन पूर्व तवाघाट से गर्बाधार के मध्य तीनतोला नामक स्थान पर भारी मलबा आ गया था। चट्टानें खिसक कर मार्ग पर गिर गई थी। इसी के साथ मार्ग बंद हो गया। बीआरओ संचालित इस सड़क में इससे पूर्व गस्कू और बयालधार के पास छह दिन मार्ग बंद रहा। तीन दिन से तीनतोला के पास मार्ग बंद होने के कारण चीन सीमा से लगे 18 गांव प्रभावित हैं। जिसमें सात गांव बंूदी, गब्र्याग, गुंजी, नाबी, कुटी, रौंगकोंग, नपलच्यु उच्च हिमालयी गांव हैं। 

इसके अलावा गस्कू, पांगला, मांगती, घटियाबगड़, गर्बाधार, बुंगबुंग, सिमखोला, गाला, जिप्ती और तांकुल  मध्य हिमालयी गांव हैं। ये सभी गांव दुर्गम हैं। वहीं इसी मार्ग से भारत चीन व्यापार चलता है। मार्ग के बंद रहने से भारतीय व्यापारियों का सामान आ जा नहीं पा रहा है। मध्य हिमालयी गांवों में अभाव की स्थिति पैदा हो चुकी है। इस क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो चुका है। इन गांवों का बाजार धारचूला है। धारचूला आने के लिए ग्रामीणों को कई किमी पैदल चलना पड़ रहा है। इसके अलावा इसी मार्ग से सेना, आइटीबीपी, एसएसबी के जवान अग्रिम चौकियों तक जाते हैं। सेना और अन्य सुरक्षा बलों के लिए सामान भी इसी मार्ग से जाता है।

बीआरओ इस समय इस मार्ग का चौड़ीकरण का कार्य कर रहा है। उच्च हिमालय के गांवों तक जाने के लिए तवाघाट से नजंग तक सड़क है और इसके बाद पैदल मार्ग है।  उच्च हिमालयी व्यास घाटी आने जाने वाले लोगों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने बीआरओ से शीघ्र मार्ग खोलने की मांग की है।


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