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पर्यटकों के लिए शीघ्र खुलेगा कफनी ग्लेशियर ट्रैक, साहसिक पर्यटकों का इंतजार कर रहे ग्लेशियर

कफनी ग्लेशियर ट्रैङ्क्षकग रूट तो 2013 की आपदा के बाद से ही बंद है। इससे यहां पर्यटक नहीं पहुंच पाते। इन ट्रैक‍िंग रूट को बनाने के लिए अब प्रशासन ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर योजना तैयार की है। स्थानीय निवासियों का भी पर्यटन से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 05:59 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 06:00 PM (IST)
पर्यटकों के लिए शीघ्र खुलेगा कफनी ग्लेशियर ट्रैक, साहसिक पर्यटकों का इंतजार कर रहे ग्लेशियर
द्वाली से कफनी ग्लेशियर 12 किमी की दूरी पर है।

बागेश्वर, घनश्याम जोशी। साहसिक पर्यटन स्थल सुंदरढूंगा घाटी व कफनी ग्लेशियर ट्रैक रूट को पर्यटकों के लिए संवारा जाएगा। प्रशासन की योजना साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए इन स्थलों की ब्रांङ्क्षडग करने की भी है। अभी सुंदरढूंगा घाटी को जाने वाला ट्रैङ्क्षकग रूट बदहाल है। कफनी ग्लेशियर ट्रैङ्क्षकग रूट तो 2013 की आपदा के बाद से ही बंद है। इससे यहां पर्यटक नहीं पहुंच पाते। इन ट्रैङ्क्षकग रूट को बनाने के लिए अब प्रशासन ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर योजना तैयार की है। कोशिश स्थानीय निवासियों का भी साहसिक पर्यटन से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की है। प्रकृति ने जिले का भरपूर श्रृंगार किया है। यहां पहुंचने वाले पर्यटक गगन छूते पहाड़, मनभावन नदियां, सुंदर घाटियां, प्रसिद्ध मंदिर और रोमांचकारी गतिविधियों का लाभ ले सकते हैं। जिले के अंतिम गांव खाती निवासी यामू ङ्क्षसह, पोर्टर महिपाल ङ्क्षसह, रूप ङ्क्षसह ने कहा कि 2013 में आई आपदा से द्वाली में अस्थायी पुल बह गया था, जो अभी तक नहीं बना है।  

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कैसे पहुंचें कफनी ग्लेशियर 

बागेश्वर से खर्किया तक करीब 65 किमी की यात्रा वाहन से की जा सकती है। खर्किया से पैदल यात्रा शुरू होती है। यहां से पांच किमी दूर खातीगांव और 12 किमी दूर द्वाली तक पहुंचा जा सकता है। द्वाली से एक रास्ता ङ्क्षपडारी और दूसरा कफनी को जाता है। द्वाली से कफनी ग्लेशियर 12 किमी की दूरी पर है।  

सुंदरढूंगा जाने के लिए पहुंचें जांतोली 

सुंदरढूंगा घाटी को जाने के लिए खातीगांव से पांच किमी जांतोली तक पैदल जाना पड़ता है। वहां से 11 किमी दूर कठहलिया पहुंचा जाता है। यह स्थान मैकतोली, बैलूनी टॉप, देवीकुंड ट्रैक के बेस कैंप के रूप में भी जाना जाता है। 

आपदा से पहुंचा नुकसान 

कफनी ग्लेशियर को जाने वाले मार्ग में वर्ष 2013 में आई आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया था। द्वाली में ङ्क्षपडर और कफनी नदियों पर बना पैदल पुल बह गया था। आज तक इनका निर्माण नहीं हो सका है। ट्रैङ्क्षकग करने वालों को लकड़ी के ल_ों से पुल बनाकर नदी पार करनी पड़ती है। कफनी ग्लेशियर में जांतोली से आगे जाने के बाद करीब तीन किमी रास्ता गायब हो गया है। इसके बाद से इस ट्रैक की यात्रा ठप पड़ी है। जिला पर्यटन अधिकारी कीॢत चंद्र आर्या ने बताया कि द्वाली में टूटे पुल का काम निर्माणाधीन है। कठहलिया के समीप धवस्त रास्ते की मरम्मत की जाएगी। कफनी ग्लेशियर के रास्ते की मरम्मत के लिए कार्रवाई गतिमान है।  

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