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हाईकोर्ट में ऑनलाइन हियरिंग शुरू होने के बाद जूनियर अधिवक्ताओं पर फिर से आर्थिक संकट मंडराया

हाईकोर्ट में 19 अप्रैल से ऑनलाइन सुनवाई प्रभावी होने के बाद जूनियर अधिवक्ताओं पर एक बार फिर से आर्थिक संकट का खतरा मंडराया है। हाई कोर्ट में करीब एक हजार अधिवक्ताओं में से आधे से अधिक जूनियर अधिवक्ता

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 08:37 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 08:37 AM (IST)
हाईकोर्ट में ऑनलाइन हियरिंग शुरू होने के बाद जूनियर अधिवक्ताओं पर फिर से आर्थिक संकट मंडराया
हाईकोर्ट में ऑनलाइन हियरिंग शुरू होने के बाद जूनियर अधिवक्ताओं पर फिर से आर्थिक संकट मंडराया

नैनीताल, जागरण संवाददाता : कोरोना की दूसरी वेव ने एक बार फिर से लोगों की अर्थिकी को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। नैनीताल में जहां पर्यटकों की आमद अचानक से ठप हो गई है वहीं आर्थिक गतिविधायां भी प्रभावित होने लगी हैं। अधिवक्‍ताओं पर भी इसका असर पड़ा है। हाईकोर्ट में 19 अप्रैल से ऑनलाइन सुनवाई प्रभावी होने के बाद जूनियर अधिवक्ताओं पर एक बार फिर से आर्थिक संकट का खतरा मंडराया है। कोर्ट में करीब एक हजार अधिवक्ताओं में से आधे से अधिक जूनियर अधिवक्ता हैं। ऐसे में इनके समक्ष कोरोना ने एक बार फिर संकट पैदा कर दिया है। 

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कोरोना की दूसरी लहर ने फिर आर्थिक हितों पर चोट करनी शुरू कर दी हैं। कोविड लॉकडाउन में जहां जेल में बंद विचाराधीन अपराधियों को संक्रमण के बढ़ते खतरे की वजह से जमानत फटाफट मिली तो अदालतों का न्यायिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। पिछले साल लॉकडाउन के बाद हाईकोर्ट व जिला अदालत में ऑनलाइन मामलों की सुनवाई हुई। तकनीकी दिक्कतों तथा अन्य औपचारिकता की वजह से सीमित मामलों में ही सुनवाई हो सकी। हाईकोर्ट में ऑनलाइन मामलों की सुनवाई ऑफलाइन से आधी रह गई थी। नतीजतन जूनियर अधिवक्ताओं के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया। अब हरिद्वार, देहरादून व टिहरी की अदालतों में दो सप्ताह तक नियमित कामकाज बंद होने के बाद 19 अप्रैल से हाईकोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू हो रही है। 

22 फरवरी से ऑफलाइन सुनवाई के बाद बमुश्किल जूनियर अधिवक्ताओं को काम मिलना शुरू हुआ औऱ उनकी आर्थिक गाड़ी पटरी पर आने लगी थी मगर एक बार उनके सामने संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में सचिव निर्वाचित विकास बहुगुणा ने तो जूनियर अधिवक्ताओं की समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता करार दिया था। अब उत्तराखंड बार काउंसिल भी इन जूनियर अधिवक्ताओं की मदद के लिए आगे आती है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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