चिंताजनक: जाड़ों में धधके जंगल, वनों की आग के मामले कुमाऊं से 21 गुणा आगे है गढ़वाल
फायर सीजन शुरू होने से साढ़े तीन माह पहले जंगल में आग लगने की घटनाओं ने वन विभाग को चिंता में डाल दिया है। एक नवंबर को उत्तराखंड में वनाग्नि की कुल 22 घटनाएं सामने आई। गढ़़वाल में स्थिति अधिक चिंंताजनक है।
हल्द्वानी, जेएनएन: फायर सीजन शुरू होने से साढ़े तीन माह पहले जंगल में आग लगने की घटनाओं ने वन विभाग को चिंता में डाल दिया है। एक नवंबर को उत्तराखंड में वनाग्नि की कुल 22 घटनाएं सामने आई। जिसमें कुमाऊं की तराई पूर्वी रेंज की खटीमा रेंज के अलावा अन्य 21 मामले गढ़वाल मंडल की डिवीजनों से जुड़े हैं। गनीमत रही कि आग विकराल रूप नहीं लिया। जिस वजह से वनसंपदा व वन्यजीवों के आशियाने पर छाया संकट भी हट गया।
अराजक तत्व भी लगा रहे आग
अक्टूबर लास्ट में रामनगर रानीखेत से सटे तौड़ा वन क्षेत्र के जंगल में भी अराजक तत्वों ने आग लगा दी थी। चीड़ की सूखी पत्तियों ने आग को और हवा दी। जिसके बाद बामुश्किल आग पर काबू पाया गया। वहीं, इससे पहले अल्मोड़ा में जिला मुख्यालय से सटे ब्राइट एंड कार्नर का जंगल भी लपटों की चपेट में आया था। तब पुलिस व दमकल को भी मोर्चा संभालना पड़ा था।
यहां हुई वनाग्नि की घटनाएं
टौंस फारेस्ट डिवीजन की देवता रेंज कुकरेदा बीट, टौंस डिवीजन की कोटीगढ़ रेंज की लंबाठच्छ बीट, टौंस डिवीजन की सांद्रा रेंज की बेनोल बीट, उत्तरकाशी फारेस्ट डिवीजन की मुखेम रेंज की बारागड़ी बीट, उत्तरकाशी डिवीजन की बदहट रेंज की हीना बीट, लैंसडाउन डिवीजन की बेडिओ बीट, टिहरी डिवीजन की भीलागंना रेंज की बहेड़ा बीट, टिहरी डिवीजन की भीलागंना रेंज की जाख बीट, उत्तरकाशी डिवीजन की टकनपुर रेंज की पिलंग बीट, गढ़वाल डिवीजन की इस्ट अमेली रेंज की नारोवासी बीट व तराई पूर्वी डिवीजन की खटीमा रेंज की सालभोजी बीट।