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हल्द्वानी में आज दिखेगी मुनस्यारी की जोहार संस्कृति

मुनस्यारी की जोहारी संस्कृति और पारंपरिक वेशभूषा शनिवार को हल्द्वानी में नजर आएगी। एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में दो दिवसीय जोहार महोत्सव का आगाज होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 12:34 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 12:34 PM (IST)
हल्द्वानी में आज दिखेगी मुनस्यारी की जोहार संस्कृति
हल्द्वानी में आज दिखेगी मुनस्यारी की जोहार संस्कृति

नैनीताल, (जेएनएन) : मुनस्यारी की जोहारी संस्कृति और पारंपरिक वेशभूषा शनिवार को हल्द्वानी में नजर आएगी। एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में वाद्य यंत्रों व आकर्षक झांकियों के साथ दो दिवसीय जोहार महोत्सव का आगाज होगा। आयोजन समिति ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली है। शौका समाज ने जोहार संस्कृति की विशिष्ट पहचान बनाने के लिए नौ साल पहले जोहार महोत्सव की शुरुआत की थी। महोत्सव की बढ़ती लोकप्रियता व पुराने आयोजन स्थल पर जगह कम पडऩे के चलते इस बाद इसे एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित किया जा रहा है। जोहार सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों ने बताया कि जोहार के रहन-सहन, खानपान, वेशभूषा व परंपरा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। महोत्सव का शुभारंभ केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक कुंदन सिंह जंगपांगी और दिल्ली में बीएसएफ के डीआइजी भगत सिंह टोलिया करेंगे। महोत्सव में जोहार में मिलने वाली वस्तुओं व व्यंजनों के स्टाल भी लगाए जाएंगे। इस बार कई अतिरिक्त स्टाल लगाए जा रहे हैं। जिससे मुनस्यारी के उत्पादों को पहचान मिल सके। जोहार महोत्सव में इंडिया टीवी के मस्त कलंदर के कलाकार विक्रम बोरा जलवा बिखेरेंगे। जोहारी वेशभूषा में ढुस्का, चांचरी, जोहारी शौका गौरव सम्मान, छितकू-ङ्क्षहवाल सांस्कृतिक समिति दरकोट की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रहेंगी। इस दौरान जोहारी शौका व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा।

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विशिष्‍ट है जोहार संस्कृति : उत्तराखंड की संस्कृति में शौका समाज का अपना स्थान रहा है। सीमांत पिथौरागढ़ जिले के जोहार-मुनस्यारी क्षेत्र में निवास करने वाला शौका समाज की अपनी विशिष्ट पहचान रही है। यह पहनावे को लेकर खान-पान तक में दिखाई देता है। इनकी वेशभूषा अलग ही पहचानी जाती है। खास कर महिलाएं विशेष तरह के वस्त्र, आभूषण आदि धारण करती हैं। उच्च हिमालयी की गोरी गंगा घाटी में रहने वाले शौका समाज की महिलाएं सामूहिक आयोजन में आज भी जब अपनी पारंपरिक वेशभूषा में होती हैं, सहज ही दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं।

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