दस साल बाद अपने घर पहुंचा आईटीबीपी का एसआइ विक्रम तो परिजनों ने गाए मंगलगीत, बांटी मिठाई
घर व अपने परिवार से करीब नौ साल 11 माह दूर रहने के बाद लापता वआइटीबीआइ एसआइ विक्रम सिंह चौधरी बुधवार को वापस अपने घर आ गए।
चम्पावत, जेएनएन : घर व अपने परिवार से करीब नौ साल 11 माह दूर रहने के बाद लापता आइटीबीआइ एसआइ विक्रम सिंह चौधरी बुधवार को वापस अपने घर आ गए। घर आने पर विक्रम का ढोल नगाड़ों व फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया। वहीं पत्नी मंजू देवी टीका चंदन लगाकर पति की आरती उतारी। तो महिलाओं ने मंगलगीत गाकर इस पल को भावुक बना दिया। विक्रम के बच्चों ने गांव में मिठाई बांटकर जश्न मनाया।
संदिग्घ परिस्थियाें में हो गए थे लापता
गौरतलब है कि चम्पावत मुख्यालय से सटे डुंगरासेठी गांव निवासी विक्रम सिंह चौधरी 1986 में आईटीबीपी में उपनिरीक्षक पद पर भर्ती हुए थे। नवंबर 2009 में विक्रम एक माह की छुट्टी पर आए। 20 दिसंबर को वह छुट्टी से वापस चले गए। दो फरवरी 2010 को परिजनों को सूचना मिली कि विक्रम कानपुर के बरोरा गुजैनी स्थित आईटीबीपी की 32वीं बटालियन कैंप से संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। तमाम खोजबीन के बाद भी उनका सुराग नहीं लग पाया था। इधर समय बीतता जा रहा था तो वहीं उनके सकुशल लौटने की परिजनों की उम्मीदें भी कम होती जा रही थी। मगर मंजू ने अपनी हिम्मत व अपनी आस कभी नहीं छोड़ी। वो हर पल विक्रम का इंतजार करती रही। नौ साल 11 महीने बाद मंजू का यह इंतजार खत्म हुआ।
चार दिन पहले दिखे थे दिल्ली में
करीब चार दिन पूर्व सल्ली-सायली निवासी नाथ सिंह ने दिल्ली के कनाट पैलेस पर उन्हें ढूंढ निकाला। बुधवार को दामाद नरेश और साला सुरेश के साथ विक्रम अपने घर डुंगरासेठी पहुंचे। विक्रम के पहुंचते ही गांव में जश्न शुरू हो गया। कोई आतिशबाजी करने लगा तो कोई मिठाई बांटने लगा। एक पल तो ऐसा लगा कि गांव में कोई त्यौहार हो। जिसमें सभी खुश होकर झूम रहे। होता भी क्यों न करीब दस साल बाद उनके गांव का खोया आदमी जो मिल गया था। पूरे गांव के लोग कुशलक्षेम पूछने उनके घर पहुंच रहे हैं। दस साल बाद विक्रम के लौटने की खुशी में परिजन फूले नहीं समां रहे हैं। सबसे ज्यादा खुशी विक्रम की पत्नी मंजू के चेहरे पर देखने लगी। वह अंदर ही अंदर जितनी खुश थी उतनी ही तेज उनकी आंखों से आश्रू बहने लगे। पति ने भी बड़े प्यार से मंजू के आंसू पोछे और गले लगाया। मंजू ने विक्रम के टीका व माला पहनाकर स्वागत किया तो अन्य महिलाओं ने मंगल गीत गाने शुरू कर दिए।
परिवार के साथ बिताना चाहते है बाकी का जीवन : विक्रम
विक्रम ने बताया कि बीते दस सालों में उनके साथ क्या हुआ कैसे हुआ उन्हें कुछ याद नहीं। उन्होंने इतना जरूरत बताया कि वह उस दौरान चंड़ीगढ़ कोर्ट से वापस आए थे। अगले दिन वह कैंप के बाहर गए तो उन्हें किसी सिविलियन ने चाय पिलाई। जिसके बाद उनका सिर घूमने लगा। उसके बाद उनके साथ क्या हुआ उन्हें कुछ याद नहीं। वह उसे याद करने की काफी समय से कोशिश कर रहे हैं। विक्रम ने कहना है कि अब उनकी उम्र 58 साल हो गई है। लिहाजा अब वह दोबारा आईटीबीपी नहीं च्वाइन करना चाहते हैं। वह बाकी का जीवन अब अपने परिवार के साथ बीताना चाहते हैं।
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