मंदी का असर : उद्योग नीति के मानकों में ढील देने की जरूरत NAINITAL NEWS
विश्वव्यापी मंदी का असर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड पर भी पड़ा है। जानकारों की मानें तो उद्योग सेक्टर को ग्रोथ देने के लिए उद्योग नीति में बदलाव नितांत जरूरी है।
हल्द्वानी, जेएनए : विश्वव्यापी मंदी का असर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड पर भी पड़ा है। ऑटो व रियल इस्टेट की तरह उद्योग क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। उद्योग नीति में हुए बदलाव का असर लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग पर पड़ा है। पुराने उद्यम मंदी का असर झेल रहे हैं और नए लगाने में मानक आड़े आ रहे हैं। जानकारों की मानें तो उद्योग सेक्टर को ग्रोथ देने के लिए उद्योग नीति में बदलाव नितांत जरूरी है।
पर्वतीय बाहुल्य उत्तराखंड राज्य में पलायन प्रमुख समस्या के रूप में उभरकर सामने आया है। पलायन रोकने के लिए उद्योग स्थापित करने की बात हमेशा से होती रही है। प्रदेश की सरकारें भी इसकी वकालत करती रही हैं। लेकिन उद्यम स्थापित करने के लिए तय मानक इसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं, जिसकी वजह से पिछले एक-डेढ़ साल में कोई भी बड़ा उद्योग नहीं लग पाया है। जानकार बताते हैं कि जब तक इसमें बदलाव नहीं किया जाता, बेहतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती। सरकार को इस दिशा में जल्द ही कोई फैसला लेना चाहिए।
हिमालय चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरसी बिंजोला का कहना है कि प्रदेश के पर्वतीय जिलों में उद्योग लगाने के लिए 30 फीट व मैदानी क्षेत्रों के लिए 60 फीट चौड़ी सड़क अनिवार्य की गई है। पर्वतीय क्षेत्र तो छोडि़ए मैदानी क्षेत्रों की सड़कें भी इतनी चौड़ी नहीं हैं। पिछले साल देहरादून में हुए उद्योग समिट में कई निवेशकों ने प्रदेश में फैक्ट्री लगाने का अनुबंध किया, लेकिन कड़े मानकों की वजह से एक भी उद्यम नहीं लग पाया है। नैनीताल जिले के कोटाबाग में दो-तीन फैक्ट्री लगनी थी, जिससे कई लोगों को रोजगार मिलता। यह प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। सरकार को मानकों में ढिलाई देनी चाहिए।
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