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हरीश बोले, बागी माफी मांगने पर पार्टी में आ सकते हैं, इंदिरा ने कहा हाईकमान पर छोड़ें फैसला

विधानसभा चुनाव को सिर्फ डेढ़ साल का समय और बाकी है। मगर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों के सुर अब भी अलग-अलग चल रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 07:43 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 07:43 PM (IST)
हरीश बोले, बागी माफी मांगने पर पार्टी में आ सकते हैं, इंदिरा ने कहा हाईकमान पर छोड़ें फैसला
हरीश बोले, बागी माफी मांगने पर पार्टी में आ सकते हैं, इंदिरा ने कहा हाईकमान पर छोड़ें फैसला

हल्द्वानी, जेएनएन : विधानसभा चुनाव को सिर्फ डेढ़ साल का समय और बाकी है। मगर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों के सुर अब भी अलग-अलग चल रहे हैं। बागियों को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने जहां नरमदिली दिखाते हुए कहा था कि माफी मांगने पर उनकी पार्टी में वापसी हो सकती है। वहीं, अब नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कह दिया कि अभी तक हमसे तो किसी ने नहीं कहा कि हम आपके साथ आ रहे हैं। वैसे भी वापसी को लेकर निर्णय हाईकमान ही लेगा। नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और स्वयं हरीश रावत को भी इस प्रकरण में कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं है। हरीश व इंदिरा के अलग-अलग सुर होने से जहां कांग्रेस के भीतर ही सवाल खड़े होंगे। वहीं, भाजपा को फिर से गुटबाजी का राग अलपाएगी।

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पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई दिग्गजों ने एक झटके में संगठन को अलविदा कह दिया था। अपने-अपने गढ़ में मजबूती रखने वाले इन बागियों की वजह से कांग्रेस सरकार को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वहीं, दो दिन पूर्व पूर्व सीएम हरीश रावत ने बागियों के माफी मांगने पर पार्टी में वापसी संभव जैसा बयान देकर उत्तराखंड की राजनीति को फिर से गर्मा दिया था। हरदा ने कहा था कि वैसे तो सभी बागी लोकतंत्र के अपराधी है लेकिन पार्टी व जनता से माफी मांगने पर रास्ता खुल सकता है। वहीं, अब मीडिया को जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि बागियों के पुराने साथी होने के नाते पूर्व सीएम व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का बयान ठीक है। लेकिन किसी भी फैसले का अधिकार हाईकमान के पास है। फिलहाल किसी ने कांग्रेस ज्वाइन करने की बात नहीं की। लिहाजा, वर्तमान में इस तरह की टिप्पणी करना ठीक नहीं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अच्छा होगा कि इस तरह की टिप्पणियों से दूर होकर हम अपने विवादों को उभरने न दें। और भाजपा की नाकामियों से लड़कर चुनाव जीतने पर फोकस किया जाए।

चार साल पहले इन्होंने छोड़ा था साथ

पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, प्रणव सिंह चैंपियन, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, शैलेंद्र मोहन सिंघल, शैला रानी रावत के बाद यशपाल आर्य, सतपाल महाराज व रेखा आर्य तत्कालीन सीएम हरीश रावत से नाराजगी जता पार्टी से अलग हो गए थे।


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