Move to Jagran APP

सीमा पर संचार सेवा के मामले में नेपाल से पिछड़ा भारत, करोड़ों का राजस्व जा रहा नेपाल

सीमा पर सड़क सहित अन्य सुविधाओं को लेकर भारत-नेपाल से अव्वल है तो संचार के क्षेत्र में भारत नेपाल के सामने कहीं पर भी नहीं टिक पा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 06:28 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 11:36 AM (IST)
सीमा पर संचार सेवा के मामले में नेपाल से पिछड़ा भारत, करोड़ों का राजस्व जा रहा नेपाल
सीमा पर संचार सेवा के मामले में नेपाल से पिछड़ा भारत, करोड़ों का राजस्व जा रहा नेपाल

पिथौरागढ़, जेएनएन : सीमा पर सड़क सहित अन्य सुविधाओं को लेकर भारत-नेपाल से अव्वल है तो संचार के क्षेत्र में भारत नेपाल के सामने कहीं पर भी नहीं टिक पा रहा है। पंचेश्वर से लेकर कालापानी तक जहां नेपाल के मोबाइल टावरों के सिग्नल भारतीय भू भाग में 15 से 40 किमी रेंज तक मिल जाते हैं वहीं भारत में लगे मोबाइल टावर अपने ही क्षेत्र में दो किमी दूर तक सिग्नल दे पाने में सक्षम नहीं हैं। नेपाल सीमा पर रहने वाली भारत की जनता को डिजिटल युग में सामंजस्य बनाने के लिए नेपाली संचार का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रतिमाह नेपाल की संचार कंपनियों को भारत से इस सीमा से करोड़ों का राजस्व जा रहा है।

loksabha election banner

भारत में टावर, नेपाल में इंसेट

भारत मेंं नेपाल सीमा पर अधिकांश बीएसएनएल के टावर हैं। यहां पर टावर पहाड़ के ऊंचे स्थल पर लगे हैं सामने नेपाल होने से क्षमता कम कर दी है। गांव नीचे घाटियों में हैं जहां तक सिग्नल नहीं पहुंचते हैं। नेपाल की सरकारी संचार एजेंसी स्काई है। स्काई इंसेट से संचालित होती है। जिसके सिग्नल भारत में नेपाल सीमा से 40 किमी दूर तक पकड़ते हैं और बात होती है। नेपाल की दो निजी कंपनियों नमस्ते और एनसेल द्वारा मुख्य टावर लगाए गए हैं। क्षेत्र के मुख्य टावरों से सपोर्ट टावर लगे हैं। जिसके चलते इनकी रेंज भारत में सीमा से लगभग 15 -16 किमी दूर तक है। नेपाल के स्काई के सिग्नल सीमा से 36 किमी दूर पिथौरागढ़ नगर तक मिलते हैं। नमस्ते के सिग्नल पिथौरागढ़ के निकटवर्ती कासनी तक और एनसेल के सिग्नल गौरीहाट तक मिलते हैं।

ढाई हजार उपभोक्ताओं के पास नेपाली सिम

नेपाल से लगी जिले की कालापानी से लेकर पंचेश्वर तक की 186 किमी की सीमा पर दो से ढाई हजार लोग नेपाली सिम का प्रयोग करते हैं। जिसमें इंटरनेट की सुविधा के नेपाल की सरकारी एजेंसी स्काई के सिम का प्रयोग अधिकाधिक किया जाता है। इंसेट से जुड़े होने से इसकी नेट सेवा जबरदस्त है। भारत की बीएसएनएल की सेवा की हालत यह है कि फोन करने के लिए सिग्नलों के लिए उपभोक्ताओं को कहीं पेड़ों पर तो कही पर पहाड़ी की चोटी पर चढऩा पड़ता है।

अवैध ढंग से मिलते हैं नेपाली सिम

नेपाल की तीनों संचार कंपनियों के सिम भारत में अवैध ढंग से मिलते हैं। नेपाल में संचार कंपनियों को सिम का टारगेट दिया जाता है जिसका उपयोग भारत में हो रहा है। सामान्यतया नेपाल के सिम भारतीय मुद्रा डेढ़ सौ रु पये और नेपाली मुद्रा 240 रु पये में मिलती है। लॉकडाउन के बाद नेपाली सिम की कालाबाजारी हो रही है। काली नदी को अवैध ढंग से पार कर सिम भारत पहुंच रही है इस समय सीमा पर पांच सौ रु पये से अधिक मूल्य पर भी सिम नहीं मिल पा रही है।

छह रुपये के रिचार्ज में 12 घंटे में मिलते है सौ मिनट

नेपाली सिमों में भारतीय छह रुपये में सौ मिनट बात करने को मिलते हैं। सुबह पांच बजे दस रुपये का रिचार्ज करने पर शाम के पांच बजे तक सौ मिनट बात कर सकते हैं। अच्छे सिग्नल होने से बात करना सहज होता है। भारतीय मुद्रा के छह रुपये नेपाल के दस रुपये होते हैं। इंटरनेट के लिए 20 रुपये से अधिक के कूपन होते हैं निर्धारित बाउचर डालने से जमकर नेट का प्रयोग किया जाता है। अजय टम्टा, सांसद, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट ने बताया कि सीमा पर संचार सेवा को मजबूत करने के लिए टावरों के प्रस्ताव गए हैं। जिसके लिए सर्वे भी किया जा चुका है। सर्वे पूरा होते ही टावर लगाने का कार्य चलेगा और जल्दी ही सीमा पर संचार सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है।

सीमांतवासियों के लिए नेपाली सिम मजबूरी

आज के डिजिटल युग में संचार की महत्ता को देखते हुए सीमा पर रहने वालों के लिए नेपाली सिम रखना मजबूरी हो चुका है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए सीमा पर सभी को नेपाल संचार का सहारा लेना पड़ रहा है। इस समय उच्च हिमालय में सरकार द्वारा दिए गए सेटेलाइट फोन की काल दर प्रतिमिनट आउटगोईंग और इनकमिंग 12 रु पये होने से यह निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। काली नदी पार नेपाल से मिलने वाले सिग्नलों से उच्च हिमालय में भी सारा संचार टिका हुआ है।

भारत ने नेपाल सीमा पर बढ़ाए एसएसबी जवान, धारचूला से कालापानी तक पैनी निगाह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.