नल नाम के नव संवत्सर में रक्षा क्षेत्र में भारत होगा आत्मनिर्भर
हिंदू सनातन नव वर्ष विक्रमी संवत की शुरुआत शनिवार से हो रही है। इस वर्ष के संवत्सर का नाम नल है। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र की भी शुरूआत होती है। यह समय मांगलिक कार्याें व शरीर-मन शुद्धि का समय है।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : हिंदू नववर्ष शनिवार यानी आज से शुरू हो रहा है। नव संवत्सर का नाम है नल। इस वर्ष के राजा शनि तथा मंत्री गुरु हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष खाद्य पदार्थ महंगे होंगे। वहीं देश के अनेक भागों में आंदोलनों, अशांति का वातावरण बना रहेगा। रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर रहेगा।
नव संवत्सर में ग्रहों की चाल के अनुसार संवत्सर प्रतिपदा के दिन मेष, सिंह, धनु राशि के जातकों को अपैट (मांगलिक कार्य वर्जित) रहेगा तथा विषुवत संक्राति के दिन (1 गते बैशाख 14 अप्रैल ) को वृष, कन्या, मकर राशि के जातकों को अपैट रहेगा। इन राशि वाले लोगाें काे इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा पाठ करने का विधान है। इससे इन राशियों पर पड़ने वाले ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
जिन जातकों का विषुवत संक्रान्ति वाम पाद (बाएं पैर) में गई है वह अनिष्ट निवारण के लिए चांदी का पैर, दही, चावल, लाल व सफेद वस्त्र दान करें तथा रुद्राभिषेक करें। जिन राशियों की विषुवत्संक्रांति बाये पैर में गई है वह राशि सिंह राशि (उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र वाले) कन्या राशि व तुला राशि (केवल चित्रा नक्षत्र वाले) शामिल हैं।
किन राशियों को कितना लाभ कितना खर्च
राशि लाभ व्यय
मेष 8 5
वृष 2 14
मिथुन 8 11
कर्क 2 8
सिंह 5 5
कन्या 8 11
तुला 2 14
वृच्छिक 8 5
धनु 5 11
मकर 14 11
कुम्भ 14 11
मीन 5 11
भारत में दिखाई देंगे चार में से दो ही ग्रहण
इस वर्ष चार ग्रहण लगेंगे परंतु भारत व उत्तराखंड में केवल दो ही ग्रहण दिखाई देंगे । 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण तथा आठ नवंबर,2022 को चंद्रग्रहण लगेगा।
आचार्य गणेश जोशी ने बताया हिंदू सनातन नव वर्ष विक्रमी संवत की शुरूआत शनिवार से हो रही है। इस वर्ष के संवत्सर का नाम नल है। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र की भी शुरूआत होती है। घरों में कलश स्थापना के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सुख-शांति व निरोगी काया की कामना की जाती है।