Move to Jagran APP

Independence Day 2022 : आंदोलनों का प्रमुख केंद्र हुआ करते थे गांधी आश्रम, गोरों ने कई बार की बंद करने की कोशिश

Independence Day 2022 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधी आश्रम आंदोलन का प्रमुख केंद्र हुआ करते थे। खुद अंग्रेज अधिकारियों ने माना की जब तक यह गांधी आश्रम चल रहे है उनका हुकूमत करना मुश्किल है। गोरों ने जुर्माना लगाया प्रतिबंध किया लेकिन फिर भी गांधी आश्रम चलते रहे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 04:10 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 04:10 PM (IST)
Independence Day 2022 : आंदोलनों का प्रमुख केंद्र हुआ करते थे गांधी आश्रम, गोरों ने कई बार की बंद करने की कोशिश
Independence Day 2022 : ब्रिटिश हुकूमत ने कई बार गांधी आश्रमों को बंद करने का किया था प्रयास, लगाया जुर्माना

चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : Independence Day 2022 : कुमाऊं में ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों के खिलाफ आंदोलन को 1915 के बाद से शुरू हो गए थे। लेकिन आजादी के लिए राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना का प्रसार महात्मा गांधी के कुमाऊं प्रवास के बाद हुआ। उनकी यात्रा के बाद कुमाऊं में 26 से अधिक अलग-अलग जगहों पर गांधी आश्रम, कुटीर बनाए गए।

loksabha election banner

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधी आश्रम बने केन्द्र

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधी आश्रम आंदोलन का प्रमुख केंद्र हुआ करते थे। खुद अंग्रेज अधिकारियों ने माना की जब तक यह गांधी आश्रम चल रहे है उनका हुकूमत करना मुश्किल है। गोरों ने जुर्माना लगाया, प्रतिबंध किया लेकिन फिर भी गांधी आश्रम चलते रहे। आजादी के बाद भी महात्मा गांधी की स्मृति में बने आश्रम राष्ट्र प्रेम, देश की एकता, अखंडता की प्रेरणा दे रहे हैं।

कुली बेगार आंदोलन से प्रभावित हुए बापू

रक्तहीन क्रांति कुली बेगार आंदोलन से महात्मा गांधी काफी प्रभावित हुए थे। यहीं कारण था कि सन् 1929 में कुमाऊं दौरा किया। कुमाऊं में महात्मा गांधी का प्रवास 14 जून 1929 से 4 जुलाई 1929 तक रहा। 22 दिनों के प्रवास के दौरान उन्होंने 26 स्थानों पर जनसभाओं को संबाेधित किया। जिन जगहों पर उन्होंने रात्रि विश्राम किया और जन सभाएं की उनके जाने के बाद वह जगह गांधी आश्रम, कुटीर, गांधी स्मृति स्थल, गांधी चबूतरा, गांधी मार्ग के रूप में प्रसिद्ध हो गई।

दूसरी बार नैनीताल तक ही पहुंच सके थे बापू

अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, हल्द्वानी सभी जगहों पर यह आज भी बने हुए हैं। राष्ट्रीय चेतना ऐसी की आश्रम बनाने के लिए लोगों ने अपनी जमीनें तक दान में दे दी। दूसरी कुमाऊं प्रवास मई 1931 में हुआ। लेकिन वह नैनीताल तक ही आए। महात्मा ने अपने प्रवास के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की जो अलख जगाई बाद में वह ज्वालामुखी बनकर फूटने लगी। यही गांधी स्मारक आंदोलन के प्रमुख केंद्र हुआ करते थे।

जनसभाओं और आंदोलनों पर रहती थी गोरों की नजर

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इन्हीं स्थानों पर जनसभाएं व आंदोलन की रणनीति बनती थी। लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एकजुट होने का आह्वान किया जाता था। गोरे सैनिकों की नजर भी इन्हीं जगहाें पर अधिक रहती थी। यहां पर कोई भी सभा आदि करता तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता था।

बोरारौ घाटी के गांधी आश्रम चनौदा में बना केन्द्र

बोरारौ घाटी में गांधी आश्रम चनौदा में आंदोलनकारियों की सबसे अधिक सक्रियता थी। इसकी स्थापना 1937 में शांति लाल त्रिवेदी ने की। एक बार तो अल्मोड़ा के डिप्टी कमिश्नर ने कुमांऊ कमिश्नर को पत्र लिखा था कि जब तक यह आश्रम चालू है इस क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत चलना मुश्किल है। आज भी महात्मा गांधी की स्मृति में बनी यह धरोहर हमें प्रेरित करती है। जो भी इन जगहों पर जाता है वह राष्ट्रीय चेतना लेकर लौटता है।

यह भी पढ़ें : कैथरीन मैरी को बापू ने नाम दिया सरला बहन, अपने ही देश के खिलाफ जाकर स्वतंत्रता आंदोलन में हुईं शामिल 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.