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गौला की रेत में बढ़ी मिट्टी की मात्रा, इसलिए बाजपुर और उत्‍तर प्रदेश से उपखनिज मंगा रहे लोग

गौला से निकलने वाली रेत एक दौर में आम आदमी से लेकर निर्माणदायी संस्थाओं तक की पहली पसंद थी लेकिन अब धीरे-धीरे इसे नापसंद किया जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 05:04 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 10:52 AM (IST)
गौला की रेत में बढ़ी मिट्टी की मात्रा, इसलिए बाजपुर और उत्‍तर प्रदेश से उपखनिज मंगा रहे लोग
गौला की रेत में बढ़ी मिट्टी की मात्रा, इसलिए बाजपुर और उत्‍तर प्रदेश से उपखनिज मंगा रहे लोग

हल्द्वानी, जेएनएन : भाबर की प्यास बुझाने के साथ गौला रोजगार की बुनियाद भी रखती है। गौला से निकलने वाली रेत एक दौर में आम आदमी से लेकर निर्माणदायी संस्थाओं तक की पहली पसंद थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इसे नापसंद किया जा रहा है। वजह है पिछले सत्र में बड़ी मात्रा में नदी से मिट्टी निकलना। जिस वजह से लोग बाजपुर और उत्तर प्रदेश से सटे अन्य इलाकों से उपखनिज मंगाकर काम चला रहे हैं। गौला के उपखनिज की घटती डिमांड भविष्य के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि हजारों लोगों का रोजगार इससे चलता है।

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शीशमहल से काठगोदाम तक गौला नदी के अलग-अलग गेटों से उपखनिज की निकासी होती है। 31 मई के बाद गेटों को बंद कर दिया जाता है। जिसके बाद क्रशरों में जमा उपखनिज से काम चलाया जाता है। गौला बंदी के समय दाम कुछ बढ़ते हैं, मगर उपखनिज की गुणवत्ता देखते हुए लोग इसका ही इस्तेमाल करते हैं। इस दफा क्रशरों की बिक्री काफी हद तक घटी है। अक्टूबर में हर साल इनका स्टॉक खत्म होने की स्थिति में पहुंच जाता था, पर इस बार काफी मात्रा में उपखनिज बचा हुआ है। जिससे खनन कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

सरकारी टेंडर में गौला की रेत की शर्त

गौला की रेत की क्वालिटी का अंदाजा इस बात लगाया जा सकता है कि पहले सरकारी विभाग अगर किसी तरह के निर्माण कार्य का टेंडर निकालते थे तो बकायदा शर्त में गौला की रेत लगाने की बात शामिल होती थी। इस नदी की रेत अलग-अलग डिमांड के हिसाब से 90 से 110 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि बाजपुर व अन्य जगहों से 90 से 100 रुपये प्रति क्विंटल उपखनिज पहुंच रहा है। जिससे खरीदार को भी फायदा पहुंच रहा है।

रोज तीन करोड़ का कारोबार गिरा

क्रशर एसोसिएशन के मुताबिक पहले रोजाना कम से कम पांच करोड़ का कारोबार ऑफ सीजन में होता था, लेकिन इस दफा मुश्किल से दो करोड़ रोज बिक्री हो रही है। वहीं, वाहन स्वामियों के मुताबिक उपखनिज कम होने की वजह से गौला में पिछले साल खुदान ज्यादा करना पड़ा। इससे उपखनिज में पीलापन आया। जिस वजह से हल्द्वानी की रेत की डिमांड गिरी है।

दस साल में सबसे कम उपखनिज निकला था

पिछले सत्र में बड़ी मुश्किल से गौला से साढ़े 34 लाख घनमीटर उपखनिज निकला था। जिसमें खराब उपखनिज भी शामिल था। पिछले दस साल में गौला से उपखनिज निकासी का यह सबसे कम आंकड़ा था।

हड़ताल का चौथा दिन

प्रशासन की छापेमारी के खिलाफ स्टोन क्रशर एसोसिएशन की हड़ताल जारी है। मंगलवार को चौथे दिन भी सभी क्रशर बंद रहे। मांगें पूरी न होने पर हड़ताल जारी रहेगी। हल्द्वानी व लालकुआं तहसील में बीस स्टोन क्रशर है।

पानी कम तो उपखनिज कहां से आएगा

(बैराज से डिस्चार्ज पानी की स्थिति)

साल         क्यूसेक

2019       10000

2018       11550

2017       35055

2016       44107

2015       16548

गाडिय़ों के पहिये भी थमे

गौला में सात हजार से अधिक गाडिय़ां चलती है। सत्र बंद होने पर दस प्रतिशत गाडिय़ों को क्रशर से काम मिल जाता है। डिमांड के हिसाब से लोकल व रामपुर-मुरादाबाद में उपखनिज ढुलान गाडिय़ां करती है। क्रशर बंद होने से वाहन स्वामियों को भी नुकसान हो रहा है।

इनकी भी सुनिए

राजेश अग्रवाल, अध्यक्ष कुमाऊं क्रशर एसोसिएशन ने बताया कि मंदी व उपखनिज की क्वालिटी पर असर पड़ने से डि़मांड में कमी नजर इा रही है। जिस वजह से क्रशर कारोबार प्रभावित हुआ है। वहीं पम्मी सैफी, सचिव गौला संघर्ष समिति का कहना है कि बाजपुर के अलावा सुल्तानपुर पट्टी से सटे व यूपी के इलाकों से रेत हल्द्वानी पहुंच रही है। इसमें चोरी का उपखनिज भी शामिल है। जिस वजह से हल्द्वानी की रेत की डिमांड भी गिरी है।


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