ऑल वेदर रोड में क्रानिक जोन की संख्या में बढ़ोतरी, टीएचडीसी के सर्वे में सामने आई बात
पूर्व में हुए सर्वे में धमौडृ से च्यूरानी तक करीब 17 स्थल भूस्लखन की दृष्टि से संवेदनशील पाए गए थे। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन ने हाल ही में इस रोड का नए सिरे से सर्वे कर क्रानिक जोन का पता लगाया। 36 किमी.हिस्से में अब संख्या 20 से ऊपर है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : हाल ही में तैयार हुई पिथौरागढ- टनकपुर रोड में क्रानिक जोन(भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र) की संख्या में इजाफा हो गया है। पिथौरागढ़ डिजीवन के अंतर्गत आने वाले 36 किमी.सड़क में क्रानिक जोन की संख्या 20 से ऊपर हो गई है। टीएचडीसी के नए सर्वे में यह बात सामने आई है।
पिथौरागढ़- टनकपुर ऑल वेदर रोड में गुरना, दिल्ली बैंड, चुपकोट बैंड बने क्रानिक जोन हैं। हल्की सी बरसात में ही इन स्थलों में चट्टाने दरक रही हैं।
पूर्व में हुए सर्वे में धमौडृ से च्यूरानी तक करीब 17 स्थल भूस्लखन की दृष्टि से संवेदनशील पाए गए थे। बीते अक्टूबर माह के मध्य में तीन दिनों तक हुई बारिश के बाद कुछ नए स्थलों में भी मलबा आने लगा है। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) ने हाल ही में इस रोड का नए सिरे से सर्वे कर क्रानिक जोन का पता लगाया। 36 किमी.हिस्से में अब इनकी संख्या बढ़कर 20 से ऊपर चल गई है।
केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने क्रानिक जोन वाले स्थलों में भूस्खलन के स्थायी समाधान के लिए प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी टीएचडीसी को सौंपी है। टीएचडीसी ने भू वैज्ञानिकों ने सर्वे कर पूर्व में प्रस्ताव तैयार किया था। नए क्रानिक जोन सामने आने के बाद टीएचडीसी के भू वैज्ञानिकों की टीम ने फिर पिथौरागढ़ पहुंचकर नया प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजा जा रहा है। इसके बाद समस्या के स्थायी समाधान की पहल होगी।
एनएच के सहायक अभियंता पीएल चौधरी ने बताया कि क्रानिक जोनों के स्थायी समाधान के लिए सर्वे की जिम्मेदारी टीएचडीसी को दी गई है। भू-वैज्ञानिकों की टीम ने दूसरी बार सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद स्थायी समाधान के लिए कार्य कराया जाएगा।