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उत्तराखंड शिक्षा विभाग में उत्तर प्रदेश के दलालों की घुसपैठ

बिहार व उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 11:58 AM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 08:44 PM (IST)
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में उत्तर प्रदेश के दलालों की घुसपैठ
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में उत्तर प्रदेश के दलालों की घुसपैठ

प्रकाश जोशी, लालकुआं। बिहार व उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है। बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) के दलालों ने छात्र-छात्राओं से मोटी रकम लेकर उत्तराखंड बोर्ड के हाईस्कूल एवं इंटर के फर्जी सर्टिफिकेट बना दिए हैं। मामला तब खुला जब पिछले दिनों बुलंदशहर के छात्र महात्मा गांधी इंटर कॉलेज हल्द्वानी में रिजल्ट व प्रमाण पत्र लेने पहुंचे। बुलंदशहर के थैलिया कल्याणपुर तहसील शिकारपुर निवासी मनीष कुमार व अशी पिछले महीने हल्द्वानी के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज पहुंचे। इन दोनों विद्यार्थियों ने उत्तराखंड बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के संस्थागत परीक्षा के अंकपत्र की फोटो कॉपी दिखाई और अंकपत्र व प्रमाण पत्र की मूल प्रति मांगने लगे। इस पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डीएल पांडे ने विद्यालय के दस्तावेज की जांच की, लेकिन उन्हें इनका कोई रिकार्ड नहीं मिला।

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केवल यही दोनों विद्यार्थी ही नहीं, कई और छात्र-छात्राएं भी इस गिरोह का शिकार बने हैं। इस बात को खुद मनीष व अशी ने स्वीकार किया है। दोनों ने बताया, 'बुलंदशहर के बगराई खुर्जा के कथित शिक्षक देवेंद्र सिंह ने उसी शहर के करीब 24 विद्यार्थियों से 13 हजार रुपये प्रति छात्र लिए हैं। इसके लिए उसने उत्तराखंड बोर्ड का रिजल्ट देने का वादा किया था। जब उत्तराखंड बोर्ड के 2018 का परीक्षा परिणाम जारी हुआ, तो सभी विद्यार्थियों के रोल नंबर की प्रथम श्रेणी की मार्कशीट भी प्रदर्शित हुई। इस कथित शिक्षक ने विद्यार्थियों को अंकपत्र की फोटो कॉपी भी थमा दी, लेकिन विद्यार्थियों के बार-बार मूल प्रति मांगने पर भी उसने नहीं दी। तब हमें मजबूर होकर हल्द्वानी संबंधित कॉलेज में आना पड़ा। इंटरमीडिएट के लिए अशी, विनीता, लवी, सौरभ कुमार, मोहित, सतेंद्र, बलविंदर, सोनू, नितिन, प्रिंस समेत कई लोगों ने भी उक्त शिक्षक को पैसे दिए हैं, जबकि कुछ लोगों ने बॉबी नाम के व्यक्ति के द्वारा उसे पैसे दिए हैं।

ये हैं फर्जी अनुक्रमांक : मनीष कुमार ने बताया कि नेट पर उसका उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद से हाईस्कूल परीक्षा 2018 का अनुक्रमांक 18004305 व इंटमीडिएट की अशी जिसका अनुक्रमांक 18462760 है, का रिजल्ट प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण दिखा रहा है। अंक पत्र में एमजी इंटर कॉलेज हल्द्वानी से संस्थागत परीक्षा भी अंकित है। मनीष ने बताया कि कथित शिक्षक ने उसके वाट्सएप नंबर पर प्रमाण पत्र की कॉपी भी भेजी थी और कहा था कि ओरिजनल प्रमाणपत्र हल्द्वानी के एमजी इंटर कॉलेज से मिल जाएगा।

जागरण के पास है कथित शिक्षक की वीडियो व आडियो रिकार्ड : जागरण प्रतिनिधि के पास छात्रों व कथित दलाल के मध्य हुई वार्ता की कॉल व वीडियो रिकॉर्ड भी है, जिसमें कथित शिक्षक कई वर्षों से उत्तराखंड बोर्ड से बच्चों को पैसे लेकर पास कराने का दावा कर रहा है। छात्रों के दस्तावेज मांगने पर वह उनको जल्दी दिलाने की बात भी कह रहा है। जांच का विषय है कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग में कौन अधिकारी है, जो इस कार्य में संलिप्त है, जो वेबसाइट में ही फर्जी मार्कशीट प्रदर्शित करा दे रहा है।

उत्तराखंड से फर्जी तरीके से पास छात्र सेना में भर्ती : छात्र मनीष का आरोप है, कथित शिक्षक ने रिंकू नाम के युवक को उत्तराखंड बोर्ड से पास कराया था। रिंकू गत वर्ष कानपुर से सेना में भर्ती हो गया। इसके बाद ङ्क्षरकू का भाई बॉबी भी कथित शिक्षक से मिलकर इस धंधे से जुड़ गया और विद्यार्थियों को पास कराने के नाम पर उनसे पैसे लेने लगा।

बुलंदशहर के खुर्जा देहात थाने में की शिकायत : ठगी के शिकार हुए करीब एक दर्जन बच्चे व उनके परिजन शुक्रवार को बुलंदशहर के खुर्जा देहात थाने में भी शिकायत दर्ज करने गए, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने व्यस्त होने का हवाला देते हुए अब पांच दिसंबर को बुलाया है। छात्रों कहना है कि उनकी कोई नहीं सुन रहा है। एमजी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डीएल पांडे ने कहा कि बुलंदशहर से दो बच्चे अंक पत्र लेने आए थे। छात्रों द्वारा लाए गए अंक पत्र में उनके विद्यालय में संस्थागत दर्ज किया गया है, जबकि उनके विद्यालय में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में यह पूरी तरह से फर्जी है। बच्चों द्वारा दिए गए अंक पत्र को उत्तराखंड बोर्ड रामनगर भेज दिया गया है।

विद्यालयी शिक्षा बोर्ड की सचिव डॉ. नीता तिवारी बिना तथ्यों के लगाए जा रहे आरोपों पर कैसे विश्वास कर सकते हैं। दस्तावेज मिलने पर उनकी जांच की जाएगी। अगर वह उत्तराखंड बोर्ड से संबंधित हुए तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आरोपित शिक्षक देवेंद्र सिंह का कहना है कि मैं इनमें से किसी भी बच्चे को नहीं जानता। मैं बच्चों का यूपी बोर्ड में नियमानुसार फार्म भरवा के ही परीक्षा दिलवाता हूं। मैने हल्द्वानी देखा तक नहीं है।

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