Move to Jagran APP

नैनीताल में 56 फीसद सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने नहीं उठाया जनवरी का राशन, गरीब जनता को उठाना पड़ेगा खामियाजा

जिले में 294 गल्ला विक्रेता अपने कोटे का राशन उठान करते हैं। लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग व गल्ला विक्रेताओं के बीच लंबे समय से चल रहे मनमुटाव के कारण जनवरी का आधे से अधिक खाद्यान्न गोदामों से उठा ही नहीं है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 07:05 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 07:05 AM (IST)
नैनीताल में 56 फीसद सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने नहीं उठाया जनवरी का राशन, गरीब जनता को उठाना पड़ेगा खामियाजा
गोदाम से खाद्यान्न न उठने की दशा में खुद अफसर ही जिम्मेदार माने जाएंगे। उन पर कार्रवाई होगी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : सरकारी दालों की खराब गुणवत्ता और बढ़े हुए दाम के चलते सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता खाद्यान्न के उठान से किनारा करने लगे हैं। आलम ये है कि नैनीताल जिले के 56 फीसद गल्ला विक्रेताओं ने जनवरी का राशन ही नहीं उठाया है। गल्ला विक्रेताओं के इस रवैये से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।

loksabha election banner

नैनीताल जिले में सवा दो लाख उपभोक्ता सरकारी खाद्यान्न का लाभ उठाते हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से हर माह राज्य खाद्य सुरक्षा योजना, अंत्योदय योजना और प्राथमिक परिवार योजना के तहत इन उपभोक्ताओं को सरकारी दाम पर गेहूं और चावल वितरित किया जाता है। जिले में प्रति माह 19956 मीट्रिक टन गेहूं और 19806 मीट्रिक टन चावल गोदामों में पहुंचता है जहां से 294 गल्ला विक्रेता अपने कोटे का राशन उठान करते हैं। लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग व गल्ला विक्रेताओं के बीच लंबे समय से चल रहे मनमुटाव के कारण जनवरी का आधे से अधिक खाद्यान्न गोदामों से उठा ही नहीं है।

जहां दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में गोदामों से जनवरी के खाद्यान्न का उठान हो जाना था वहीं, जनवरी के दो सप्ताह बीतने के बावजूद 56 फीसद सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने राशन ही नहीं उठाया है। इससे विभाग के अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से पहले ही स्पष्ट तौर पर अफसरों को चेताया गया है कि गोदाम से खाद्यान्न न उठने की दशा में खुद अफसर ही जिम्मेदार माने जाएंगे। उनपर कार्रवाई होगी।

दालों की वजह से बढ़ी नाराजगी

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाकडाउन के दौरान प्रत्येक राशन कार्ड धारक को अरहर, मसूर, उड़द, मलका जैसी दालें देने की कवायद शुरू हुई थी। प्रति राशन कार्ड पर दो किलो दाल मिलती है। पहले तो सबकुछ ठीक रहा लेकिन बाद में दाल की खराब गुणवत्ता का हवाला देते हुए उपभोक्ताओं ने दाल लेनी ही बंद कर दी। इससे गल्ला विक्रेताओं को खासा नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद इन दालों के दाम भी बढ़ा दिए गए। जिसने गल्ला विक्रेताओं का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने विभाग को चेतावनी दे डाली थी कि यदि दालें उठाने का दबाव बनाया गया तो वे गोदाम से चावल, गेहूं जैसा खाद्यान्न भी नहीं उठाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.