अल्मोड़ा में आशा कार्यकर्ताओं ने मांगा सरकारी कर्मचारी का दर्जा व 21 हजार रुपये वेतन
कोविड ड्यूटी के दौरान तय मासिक भत्ते का भुगतान करने आदि मुद्दों पर आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मंगलवार को जिला मुख्यालय में जुलूस निकाला। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जब तक समाधान नहीं हो जाता है तब तक कार्यबहिष्कार आंदोलन जारी रहेगा।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : राजकीय कर्मचारी का दर्जा देने व कोविड ड्यूटी के दौरान तय मासिक भत्ते का भुगतान करने आदि मुद्दों पर आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मंगलवार को जिला मुख्यालय में जुलूस निकाला। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कहा गया कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है तब तक कार्यबहिष्कार आंदोलन जारी रहेगा। इसके लिए उन्हें चाहे कितना ही संघर्ष क्यों नहीं करना पड़े।
मंगलवार की पूर्वान्ह में जिले के विभिन्न विकास खंडों से पहुंची आशा कार्यकताएं स्थानीय गांधी पार्क पर एकत्र हुईं। यहां उन्होंने थोड़ी देर सभा कर सरकार पर उनके हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कहा कि वह पूरे मनोयोग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं, इसके बाद भी उनकी अनदेखी से उन्हें बेमियादी कार्यबहिष्कार के िलए बाध्य होना पड़ा है। उन्होंने गांधी पार्क से मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला। जुलूस में आशा कार्यकर्ता यूनियन की प्रांतीय सचिव आनंदी मेहरा, विजय लक्ष्मी, नीमा जोशी, रेखा आर्या, किरन साह, ममता भट्ट, लक्ष्मी वर्मा, देवकी बिष्ट, देवकी भंडारी, आयशा खान, रूपा आर्या, नीमा जोशी, देवकी बिष्ट, ममता तिवारी, पूजा बगड्वाल, जानकी गुरुरानी, उमा आगरी समेत अनेक कार्यकर्ताएं मौजूद रही।
ये हैं प्रमुख मांगें
= न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये हो। अन्य स्कीम वर्कर की भांति मासिक मानदेय निश्चित करने। पेंशन व्यवस्था। कोविड ड्यूटी में घोषित 10 हजार रुपये का मासिक भत्ता देने। 50 लाख का बीमा व 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा। कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने पर आश्रितों को 50 लाख का बीमा व चार लाख रुपये का अनुग्रह भुगतान हो। उड़ीसा की तर्ज पर आश्रितों को विशेष मासिक भुगतान। सेवाकाल में सुरक्षा का प्रावधान हो। दुर्घटना या गंभीर बीमारी पर न्यूनतम 10 लाख रुपये मिलें। अस्पतालों में सम्मानजनक व्यवहार। कोरोना ड्यूटी का अलग भुगतान नहीं तो ड्यूटी नहीं।