साहब ! हल्द्वानी को क्लीन सिटी नहीं डेंगू सिटी कहिए, आइएमए अध्यक्ष ने कहा-मरीजों की संख्या 25 हजार के पार
लापरवाह जनप्रतिनिधियों व संवेदनहीन अधिकारियों की वजह से हल्द्वानी में दो महीने में भी डेंगू नियंत्रित नहीं हो सका।
हल्द्वानी, गणेश जोशी : लापरवाह जनप्रतिनिधियों व संवेदनहीन अधिकारियों की वजह से हल्द्वानी में दो महीने में भी डेंगू नियंत्रित नहीं हो सका। स्वास्थ्य विभाग की महज औपचारिकता भर के लिए की जा रही कार्रवाई का कोई असर नहीं दिख रहा है। वहीं, नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी है। महामारी की तरह शहर को अपनी चपेट में ले चुके डेंगू से बचने के लिए सरकारी अस्पतालों में हायतौबा मची है। लोग दहशत में हैं। कुछ निजी क्लीनिकों व लैबों में मरीज लुट रहे हैं। जांच से पहले या जांच के बाद डेंगू के लक्षणों से ग्रस्त 16 मरीजों की मौत हो गई। इसके बावजूद हमारा तंत्र कहीं भी अलर्ट मोड में नजर नहीं आया। इससे अधिक शर्मनाक स्थिति क्या होगी, जब पूरी व्यवस्था डेंगू के खत्म होने के लिए ठंड का इंतजार करने लगी है। यानी सिस्टम खुद असहाय हो चुका है। जिस हल्द्वानी को क्लीन सिटी कहा जाता है, वहां सिस्टम की लापरवाही के चलते डेंगू ने इस कदर पांव पसार दिए हैं कि इसे अब डेंगू सिटी कहना गलत नहीं होगा।
सरकारी आंकड़ा 2 हजार, हकीकत में 25 हजार
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या दो हजार पहुंच गई, लेकिन हकीकत में यह संख्या हजारों में होगी। आइएमए अध्यक्ष डॉ. डीसी पंत ने ही फेसबुक पर कमेंट किया है, यह संख्या 25 हजार पहुंच गई होगी। ऐसा इसलिए भी कि स्वास्थ्य विभाग के पास अांकड़ों को एकत्रित करने का सिस्टम आधा-अधूरा है।
दो अगस्त को पहला केस आसा था सामने
सरकारी आंकड़ों के आधार पर डेंगू का पहला मरीज दो अगस्त को सामने आया था। स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। नगर निगम बेपरवाह बना रहा। आज जिस तरह की दहशत फैली है, इसे रोकने के लिए पूरा सिस्टम पंगु बना हुआ है।
ये हैं 10 खामियां
- मानसून आने के बाद भी संवेदनहीन तंत्र ने नहीं की कोई तैयारी
- नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग ने समय पर न फॉगिंग की और न ही स्प्रे किया गया
- एसटीएच व बेस अस्पताल में जरूरत के अनुसार डॉक्टर व स्टाफ नर्स तक नहीं बढ़ाए
- सरकारी अस्पतालों में समय पर बेड नहीं बढ़ाए गए, एक बेड पर दो-तीन मरीज लिटाए
- शहर के गड्ढेयुक्त सड़कों, खाली प्लॉटों पर जमा पानी नहीं किया साफ
- सड़कों, गलियों-मोहल्लों व बजबजाती नालियों में दवा का नहीं किया छिड़काव
- प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सांसद, मेयर व विधायक भी पूरी तरह बने रहे बेपरवाह
- परेशान मरीजों को निजी क्लीनिक व लैब मरीजों को लूटते रहे
- समय रहते माइक्रोप्लानिंग तक नहीं की गई और नही विशेषज्ञों को बुलाया
- स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम व अन्य विभागों में नहीं दिखा समन्वय
इन 10 बिंदुओं पर गया होता ध्यान तो हो सकता था नियंत्रण
- मानसून आने से पहले ही तैयारी कर ली जानी चाहिए थी
- फील्ड के लिए अलग से टीम का गठन होना चाहिए था
- हॉस्टिपल में बेड व दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए थी
- माइक्रोप्लानिंग के बाद जरूरी इंतजाम कर लिए जाने चाहिए थे
- समय पर फॉगिंग व स्प्रे करने से राहत मिल सकती थी
- आउटब्रेक कंट्रोल करने के लिए विशेष टीम गठित करनी चाहिए थी
- समय रहे लोगों को डेंगू से बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए थी
- संभावित महामारी को देखते हुए पर्याप्त बजट का इंतजाम कर लिया जाना चाहिए
- निजी क्लीनिकों व निजी लैबों के साथ समय पर बैठक कर लेनी चाहिए थी
- डीएम के कोर्डिनेशन में सभी विभागों को महामारी से निपटने का इंतजाम होना चाहिए था।
नियंत्रण के लिए प्रयास जारी
डॉ. रश्मि पंत, एसीएमओ ने बताया कि एक जगह पर अधिक केस आने के बाद डेंगू अन्य जगह भी फैलता है। इसलिए केस बढ़ रहे हैं। नियंत्रण के लिए प्रयास जारी हैं। इलाज के बाद मरीज ठीक भी हो रहे हैं।