वेतन कम है तो उठाएं ईएसआइ के भरपूर लाभ
गणेश जोशी, हल्द्वानी : आप ऐसे संस्थान में काम करते हैं, जो कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइ
गणेश जोशी, हल्द्वानी : आप ऐसे संस्थान में काम करते हैं, जो कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) में पंजीकृत है, तो आप निगम की ओर से किए गए बीमा का भरपूर लाभ उठा सकते हैं। इलाज कराने की चिंता से मुक्त हो सकते हैं। साथ ही बीमारी के दौरान ड्यूटी नहीं ज्वाइन कर सकते हैं, तो भी निगम आपको निर्धारित समय तक वेतन भी देगा। लेकिन, इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए। ईएसआइ का लाभ आप कैसे उठा सकते हैं। इसके लिए दैनिक जागरण आपको निगम के बीमा से संबंधित तमाम जानकारी उपलब्ध करा रहा है।
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ऐसे लें ईएसआइ का लाभ
आप ईएसआइ से पंजीकृत जिस भी संस्थान में काम करते हैं और आपकी आय 21 हजार रुपये से कम है, तो आप ईएसआइ का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए कंपनी या संस्थान का कार्मिक विभाग आपकी मदद करेगा। मेडिकल लाभ लेने के लिए पहले आपको ईएसआइ की डिस्पेंसरी में जाना होगा। वहां पर उपचार संभव नहीं हो, तो हायर सेंटर रेफर करने की व्यवस्था है।
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ईएसआइ अस्पताल नहीं, तो डिलीवरी के लिए लें पांच हजार
जहां ईएसआइ के अस्पताल नहीं हैं। वहां पर कर्मचारी का परिवार रहता है, तो उसकी पत्नी की डिलीवरी के लिए कंफाइनमेंट एक्सपेंसेज के लिए पांच हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। यह लाभ कुमाऊं में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ के कर्मचारी उठा सकते हैं।
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इमरजेंसी में सीधे पहुंच सकते हैं सुपरस्पेशलिस्ट अस्पताल
अक्सर दुर्घटना के समय व्यक्ति को डिस्पेंसरी में ले जाए या फिर संबंधित हायर सेंटर। इसे लेकर भ्रम की स्थिति रहती है। निगम के निदेशक अमरजीत सिंह का कहना है कि इमरजेंसी की स्थिति में मरीज को सीधे सुपरस्पेशलिस्ट संस्थान ले जा सकते हैं, लेकिन 24 घंटे के भीतर डिस्पेंसरी में अनिवार्य रूप से सूचना देनी होगी।
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91 दिन का सिकनेस लीव का उठा सकते हैं लाभ
ईएसआइसी के प्रबंधक लालकुआं कैलाश सिंह ने बताया कि निगम कर्मचारी को सिकनेस लीव में वेतन का 70 फीसद वेतन का भुगतान करता है। इसके लिए शर्त है कि कर्मचारी संबंधित कंपनी में छह महीने तक काम कर चुका हो। यह लाभ एक साल में 91 दिन तक लाभ मिल सकता है।
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कार्यालय आते-जाते समय दुर्घटना का भी लाभ
कर्मचारी घर से कार्यालय जाते और आते समय दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो भी कंपनी ठीक होने तक 90 फीसद इलाज का खर्चा और इतने दिन की छुट्टी का भी पैसा देती है।
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मृत्यु पर पत्नी व बच्चों को भी पेंशन
काम के दौरान कर्मचारी की मौत होने पर कंपनी 10 हजार रुपये अंत्येष्टि के लिए देती है। बच्चों को 25 साल तक पेंशन और पत्नी को आजीवन पेंशन की सुविधा मिलती है। दिव्यांग होने पर कंपनी दिव्यांगता के आधार पर वेतन का 90 फीसद वेतन भुगतान करती है।
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छह महीने की मैटरनिटी लीव
ईएसआइ महिलाओं को भी छह महीने की मैटरनिटी लीव की सुविधा देती है। रिटायरमेंट के बाद भी अगर 120 रुपये सालाना जमा करते हैं, तो मेडिकल सुविधा जारी रहती है।
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इन सुपरस्पेशलिस्ट अस्पतालों से है करार
कुमाऊं में जीवनरेखा अस्पताल काशीपुर, अमृत अस्पताल रुद्रपुर, बृजलाल अस्पताल हल्द्वानी, श्रीरामूर्ति मेडिकल कॉलेज बरेली, बेलिंटिस कैंसर अस्पताल मेरठ शामिल हैं। गढ़वाल में हिमालयन इंस्टीट्यूट जौलाग्रांट, महंत इंद्रेश अस्पताल देहरादून, दून एमआरआइ सेंटर देहरादून, भारत हार्ट इंस्टीट्यूट, सीएमआइ इंस्टीट्यूट, मैट्रो हॉस्पिटल हरिद्वार शामिल हैं।
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रुद्रपुर व हरिद्वार में अस्पताल निर्माणाधीन
ईएसआइसी की ओर रुद्रपुर व हल्द्वानी में 100-100 बेड का अस्पताल निर्माणाधीन है। इसके अलावा देहरादून में भी 100 बेड का अस्पताल बनना है। इसके लिए राज्य सरकार को भूमि उपलब्ध कराना है। इसके लिए भी प्रक्रिया चल रही है।
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प्रदेश में ईएसआइ की स्थिति
-13 सुपरस्पेशलिटी के अस्पताल हैं संबद्ध।
-23 ईएसआइ की डिस्पेंसरी संचालित
-02 अस्पताल 100-100 बेड के निर्माणाधीन
-06 जिले ईएसआइ में शामिल
-6 लाख 6 हजार 770 कर्मचारी पंजीकृत
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ईएसआइसी कर्मचारियों को बेहतर बीमा सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में रुद्रपुर व हरिद्वार में 100-100 बेड के दो अस्पताल बन रहे हैं। देहरादून में तीसरे अस्पताल के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।
अमरजीत सिंह, निदेशक, ईएसआइ