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कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति न करती तो नासूर न बनता कश्मीर

भारत रत्‍‌न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद लोग उनसे जुडे़ संस्मरण बता रहे हैं साहित्यकार शैलेश मटियानी के पुत्र राकेश मटियानी।

By Edited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 12:18 PM (IST)
कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति न करती तो नासूर न बनता कश्मीर
कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति न करती तो नासूर न बनता कश्मीर
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भारत रत्‍‌न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद लोग उनसे जुडे़ संस्मरण साझा कर रहे हैं। शहर के प्रसिद्ध साहित्यकार शैलेश मटियानी के बेटे राकेश मटियानी ने भी ऐसा ही एक संस्मरण साझा किया है। राकेश ने बताया कि उनके पिता ने पूर्व पीएम को पत्र लिखा था, जिसके जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लिखा था, 'समाज में जागृति आई है। जागृत और सशक्त ¨हदू समाज ही वर्तमान समस्याओं के समाधान का आधार बन सकता है। समाज को संगठित करने का प्रयास अनेक दशकों से चल रहा है।' शैलेश मटियानी ने राष्ट्रगान से लेकर कई अन्य सामाजिक मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए भी अटली जी को सुझाव भेजा था। अटल जी ने भी उनके पत्रों को पढ़ा और जवाब भी भेजा। दो जुलाई 1993 को एक पत्र के जवाब में अटल जी लिखते हैं, 'यदि केंद्र सरकार की नीतियां सही होती और कांग्रेस वोट बैंक की खतरनाक राजनीति न खेलती, तो कश्मीर कभी भी नासूर न बनता। शीतयुद्ध के बाद तो सारा संसार सभ्यताओं के आधार पर बढ़ता दिखाई दे रहा है। ¨हदू सभ्यता को इस्लामी और पश्चिमी, दोनों सभ्यताओं की चुनौतियों का उत्तर देना है। विश्व मानव सम्मेलन में बोसनिया के सवाल को लेकर जो मतभेद हुआ, वह आने वाली घटनाओं का पूर्व संकेत है।' श्याम विहार कॉलोनी निवासी उनके बेटे राकेश मटियानी बताते हैं, 'पिताजी को उन्होंने कई बार दिल्ली बुलाया भी था। -------------- अटलजी का लोकतंत्र में था गहरा विश्वास रामनगर : भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर शोक जताते हुए देवभूमि विकास मंच ने शहीद पार्क लखनपुर में उन्हें श्रद्धाजलि दी। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि अटल के निधन से राजनीति में शून्य पैदा हो गया है। सर्वधर्म समभाव व लोकतंत्र में उनका गहरा विश्वास था। इस दौरान हरिप्रसाद भारद्वाज, बहादुर सिंह मेहरा, मनमोहन अग्रवाल, धनेश्वरी घिल्डियाल, सुमित्रा विष्ट, पीताम्बरी रावत, पूरन चंद्र पांडे, इंद्र सिंह मनराल, योगेश सती, नवीन नैनवाल, नवीन नैथानी, प्रभात ध्यानी, देवेंद्र सेठी, बलविंदर सिंह, गोपाल असनोड़ा मौजूद रहे।

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