गौला का पानी इस्तेमाल करने की बजाय भूजल का किया जा रहा है दोहन NAINITAL NEWS
गौला नदी को हल्द्वानी की जीवनदायिनी कहा जाता है। गर्मियों के तीन महीने छोड़कर अन्य महीनों में इस नदी में भरपूर पानी रहता है।
By Edited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 05:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 10:50 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : गौला नदी को हल्द्वानी की जीवनदायिनी कहा जाता है। गर्मियों के तीन महीने छोड़कर अन्य महीनों में इस नदी में भरपूर पानी रहता है। इसके बावजूद तंत्र की अनदेखी से रोजाना करोड़ों लीटर पानी का दोहन धरा से किया जा रहा है।
हल्द्वानी के कंकरीट का जंगल बनने के बावजूद यहां दशकों पुराने फिल्टरेशन प्लांट से ही जलापूर्ति होती है। सभी प्लांटों की फिल्टरेशन क्षमता मिलाकर कुल 34 एमएलडी है। जलसंस्थान के शीशमहल में चार व शीतलाहाट में एक फिल्टर प्लांट है। शीशमहल के चार फिल्टर प्लांट से रोजाना 30 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है, जबकि शीतलाहाट स्थित प्लांट की क्षमता चार एमएलडी है। शहर में आबादी के विस्तार के साथ ही पेयजल की किल्लत बढ़ने पर जलसंस्थान व जल निगम लगातार नलकूप लगाते जा रहा है। रिकार्ड बताते हैं कि नगर निगम क्षेत्र में जलसंस्थान के 55 व सिंचाई विभाग के 28 नलकूपों से जलापूर्ति होती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी सिंचाई विभाग के 37 नलकूप पेयजल आपूर्ति करते हैं, जबकि सिंचाई के अन्य 55 नलकूपों से भी आंशिक रूप से पेयजल के लिए पानी लिया जाता है। वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि सरकारी तंत्र उच्च क्षमता के फिल्टर प्लांट बना दे तो गौला नदी का पानी शहर का जलसंकट दूर कर सकता है। इससे रोजाना करोड़ों लीटर भूजल का दोहन रुक जाएगा।
जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता विशाल कुमार सक्सेना ने बताया कि फिल्टरेशन प्लांट बढ़ाने के साथ ही पेयजल लाइनों के विस्तार की भी जरूरत है। एडीबी फिल्टरेशन प्लांट व आपूर्ति की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव बना रहा है। एक माह के भीतर इसके पूरा होकर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। एडीबी के काम पूरे होने पर लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति के साथ ही नलकूपों का प्रयोग भी कम हो जाएगा।
हल्द्वानी के कंकरीट का जंगल बनने के बावजूद यहां दशकों पुराने फिल्टरेशन प्लांट से ही जलापूर्ति होती है। सभी प्लांटों की फिल्टरेशन क्षमता मिलाकर कुल 34 एमएलडी है। जलसंस्थान के शीशमहल में चार व शीतलाहाट में एक फिल्टर प्लांट है। शीशमहल के चार फिल्टर प्लांट से रोजाना 30 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है, जबकि शीतलाहाट स्थित प्लांट की क्षमता चार एमएलडी है। शहर में आबादी के विस्तार के साथ ही पेयजल की किल्लत बढ़ने पर जलसंस्थान व जल निगम लगातार नलकूप लगाते जा रहा है। रिकार्ड बताते हैं कि नगर निगम क्षेत्र में जलसंस्थान के 55 व सिंचाई विभाग के 28 नलकूपों से जलापूर्ति होती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी सिंचाई विभाग के 37 नलकूप पेयजल आपूर्ति करते हैं, जबकि सिंचाई के अन्य 55 नलकूपों से भी आंशिक रूप से पेयजल के लिए पानी लिया जाता है। वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि सरकारी तंत्र उच्च क्षमता के फिल्टर प्लांट बना दे तो गौला नदी का पानी शहर का जलसंकट दूर कर सकता है। इससे रोजाना करोड़ों लीटर भूजल का दोहन रुक जाएगा।
जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता विशाल कुमार सक्सेना ने बताया कि फिल्टरेशन प्लांट बढ़ाने के साथ ही पेयजल लाइनों के विस्तार की भी जरूरत है। एडीबी फिल्टरेशन प्लांट व आपूर्ति की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव बना रहा है। एक माह के भीतर इसके पूरा होकर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। एडीबी के काम पूरे होने पर लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति के साथ ही नलकूपों का प्रयोग भी कम हो जाएगा।
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