90 के दशक में स्टेटस सिंबल थी HMT की घड़ी, शादियों में था दूल्हे को देने का रिवाज; पढ़ें इसका इतिहास
HMT किसी जमाने में एचएमटी की घडि़यां स्टेटस सिंबल मानी जाती थीं। कंपनी की टैगलाइन देश की धड़कन की तरह ही यह हर घर की धड़कन थी। शादियों में तो दूल्हे को एचएमटी घड़ी ही देने का रिवाज था।
By Nirmala BohraEdited By: Nirmala BohraPublished: Fri, 14 Apr 2023 03:25 PM (IST)Updated: Fri, 14 Apr 2023 03:25 PM (IST)
टीम जागरण, देहरादून: HMT Ranibagh: किसी जमाने में एचएमटी की घडि़यां स्टेटस सिंबल मानी जाती थीं। एक ऐसा भी दौर था, जब घड़ी मतलब सिर्फ एचएमटी हुआ करता था। 90 के दशक के उस दौर में एचएमटी लोगों की शान थी।
तब एग्जाम पास करने पर एचएमटी की घड़ी उपहार में मिलती थी। रिटायर होने पर भी एचएमटी घड़ी दी जाती थी। शादियों में तो दूल्हे को एचएमटी घड़ी ही देने का रिवाज था।
कंपनी की टैगलाइन 'देश की धड़कन' की तरह ही यह हर घर की धड़कन थी। उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित रानीबाग में भी एचएमटी की फैक्ट्री हुआ करती थी जो अब खंडहर में बदल गई है। आइए जानते हैं इसका इतिहास...
स्वर्णिम दौर में 20 लाख से अधिक घड़ियों का होता था उत्पादन
- रानीबाग एचएमटी फैक्ट्री 91 एकड़ में फैली थी। इसमें कारखाना, प्रशासनिक व आवासीय कॉलोनी शामिल थी।
- 1985 में स्थापित फैक्ट्री में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था। स्वर्णिम दौर में यहां हर साल 20 लाख से अधिक घड़ियों का उत्पादन होता था।
- फैक्ट्री की कॉलोनियों में रौनक हुआ करती थी। लेकिन अब पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी का करोड़ों का ड्रीम प्रोजेक्ट खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
- रानीबाग एचएमटी फैक्ट्री एक जमाने में देश के अहम उद्योगों में शुमार थी। यह तत्कालीन केंद्रीय उद्योग मंत्री व पूर्व सीएम स्व. नारायण दत्त तिवारी का ड्रीम प्रोजेक्ट थी। इसका शुभारंभ कतत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था।
- कुप्रबंधन व प्रतिस्पर्धा के कारण एक दशक में ही फैक्ट्री पर संकट के बादल मंडराने लगे। 1993-94 में फैक्ट्री घाटे में आने लगी। 2000 आते फैक्ट्री बंद करने की बात होने लगी। 2016 में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया।
एमएमटी का इतिहास
- 1982 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में मंजूरी
- 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने किया उद्घाटन
- 91 एकड़ में फैला था एचएमटी घड़ी कारखाना व आवासीय परिसर
- 1246 कर्मचारी कभी फैक्ट्री में किया करते थे काम
- 2016 में फैक्ट्री बंदी के समय 512 कर्मचारी थे कार्यरत
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