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हिंदू नववर्ष 2 अप्रैल से शुरू, सियासी उथल-पुथल के साथ धार्मिक व शैक्षणिक कार्यों में होगी वृद्धि

दिनेश पांडेय ने बताया कि मकर व कुंभ राशि में शनि का त्रास रहेगा जबकि मेष तुला राशि में राहु केतु का वास होगा। इन सबके बाबजूद पूजा व जप हवन यज्ञ के जरिए विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल किया जा सकता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 31 Mar 2022 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 31 Mar 2022 08:44 PM (IST)
हिंदू नववर्ष 2 अप्रैल से शुरू, सियासी उथल-पुथल के साथ धार्मिक व शैक्षणिक कार्यों में होगी वृद्धि
गुरु के आत्मीय प्रधान होने से हर परिस्थिति का समय से समाधान निकलेगा और विश्वशांति का योग बनेगा।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : दो अप्रैल को विक्रम संवत 2079 यानि हिंदू नवसंवत्सर का श्रीगणेश होगा। चैत्र नवरात्र से शुरू होने वाला हिंदू नववर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तौर-तरीकों से मनाया जाता है। शनि इस साल के राजा व मंत्री गुरु होंगे। ज्योतिषियों के अनुसार पूरा साल सियासी झगड़ों व सांप्रदायिक झगड़ों को बढ़ाने वाला रहेगा। वहीं धार्मिक गतिविधियों के साथ ही शैक्षणिक कार्यों में तेजी आने के योग भी बन रहे हैं। शनि के वर्षपति होने से अकाल का योग भी बनता दिख रहा है।

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चम्पावत निवासी ज्योतिषविद दिनेश चंद्र पांडेय ने बताया कि आगामी नवसंवत्सर तमाम झंझावातों से घिरा रहेगा। इस बार शनि देव के वर्षपति होने से अकाल, उपद्रव और जन, धन हानि के दुष्परिणाम आम जनों को प्रभावित करेंगे। लेकिन गुरु के आत्मीय प्रधान होने से हर परिस्थिति का समय से  समाधान निकलेगा और समय से बारिश और विश्वशांति का योग बनेगा। 

राजाओं और देश के प्रमुखों को काया का संकट घेरेगा। सांप्रदायिक झगड़ों के साथ ही नेताओं में सियासी तनातनी बढ़ेगी। विभिन्न दलों के मुखिया छल प्रपंच के जरिए सत्ता काबिज करने की कोशिश करेंगे। नवसंवत्सर का प्रभाव नीति विरोधी घपले-घोटालों को भी बढ़ाने वाला है। दिनेश पांडेय ने बताया कि मकर व कुंभ राशि में शनि का त्रास रहेगा जबकि मेष, तुला राशि में राहु केतु का वास होगा। इन सबके बाबजूद पूजा व जप, हवन, यज्ञ के जरिए विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल किया जा सकता है।

दिन में बोएं हरेला

पर्वतीय क्षेत्रों में चैत्रए शारदीय नवरात्र के अलावा हरेला पर्व पर हरियाला बोने की परंपरा है। जिसमें सप्तधान्य को विधिवत दो टोकरियों में बोया जाता है और पूजास्थल पर रखा जाता है। जिसे हर रोज पानी देते है और दशमी के रोज प्रतिष्ठा के बाद काटकर पुरोहित व यजमानों को शिरोधार्य कराते हैं। घर के बड़े बुजुर्ग सिर पूजन कर आशीर्वाद देते हैं। बताया कि इस बार पहली नवरात्र यानि दो अप्रैल को दिन में 11: 44 बजे से 12:33 बजे तक हरेला बोने का शुभ मुहूर्त है।


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