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जापान के सहयोग से पाडली मॉडल के तहत रोका जाएगा हाईवे का भूस्खलन

वन क्षेत्रों में भूस्खलन व आपदा प्रबंधन पर नियंत्रण के लिए वन महकमा पूरे प्रदेश में पाडली मॉडल लागू करने की तैयारी में हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 12:14 PM (IST)
जापान के सहयोग से पाडली मॉडल के तहत रोका जाएगा हाईवे का भूस्खलन
जापान के सहयोग से पाडली मॉडल के तहत रोका जाएगा हाईवे का भूस्खलन

किशोर जोशी, नैनीताल : वन क्षेत्रों में भूस्खलन व आपदा प्रबंधन पर नियंत्रण के लिए वन महकमा पूरे प्रदेश में पाडली मॉडल लागू करने की तैयारी में हैं। अल्मोड़ा हाईवे पर गरमपानी के पास पाडली नामक जगह पर जापान के विशेषज्ञों की ओर से दरक रही पहाड़ी को अत्याधुनिक तकनीक से रोकने का काम किया जा रहा है। जगह के नाम पर ही इसे पाडली मॉडल नाम दिया गया है। इस तकनीक को अब पूरे राज्य में लागू करने की तैयारी है।

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राज्य में जापान के सहयोग से तकनीकी सहयोग परियोजना टीसीपी का संचालन प्रदेश में हो रहा है। वहां की सरकार की ओर से दुनिया के 198 देशों में जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग परियोजना के माध्यम से इन देशों की आर्थिक व सामाजिक उन्नति के लिए तमाम कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। जायका परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में संरक्षण, संवर्धन के साथ ही जून 2013 की जल प्रलय से हुई क्षति के उपरांत भविष्य में वन क्षेत्रों में भूस्खलन व आपदा नियंत्रण के लिए जापानी तकनीकी के हस्तांतरण का काम शुरू किया गया है। वन विभाग का दस सदस्यीय अधिकारी-कर्मचारियों का दल तकनीकी के  गुर सीखेगा। इस दल के तकनीकी ज्ञान के आधार पर एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा।

दल का नेतृत्व करेंगे मुख्‍य वन संरक्षक कुमाऊं : दल का नेतृत्व मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं डॉ. कपिल जोशी द्वारा किया जाएगा, जबकि दल में डीएफओ नरेंद्र नगर डॉ. धर्म सिंह मीणा, नैनीताल के एसडीओ उमेश चंद्र जोशी के अलावा रेंजर, फॉरेस्टर शामिल हैं। चीफ कुमाऊं डॉ. जोशी के अनुसार दल जायका मुख्यालय टोक्यो में प्रशिक्षण उपरांत जापान के शिजुओका, होविगसू, नगानो, यामानाशी आदि जिलों के वन क्षेत्रों का भ्रमण कर आपदा एवं भूस्खलन नियंत्रण की आधुनिक तकनीकी में दक्षता हासिल करेंगे। उक्त दल के सदस्य मास्टर टे्रनर बनकर वन महकमे के अधिकारी-कर्मचारियों को जापानी तकनीकी का बोध कराएंगे।

पाडली मॉडल में प्रयुक्त जापानी तकनीक

-भूस्खलन से दरक रही पहाड़ी का सबसे पहले भूगर्भीय सर्वेक्षण

-सतह के पानी व भूजल का पता लगाना

-चैकडेम और तटबंध निर्माण की विधि-जो कितना भार वाहन कर सकती है, इसका विश्लेषण

-भूस्खलन व आपदा की दृष्टिï से संवेदनशील पहाड़ी को संरक्षित करने के लिए घास प्रजाति का रोपण

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