राज्य के 11 हाथी कॉरिडोर में हुए अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब nainital news
हाई कोर्ट ने राज्य के 11 हाथी कॉरिडोर में अतिक्रमण मामले में प्रमुख वन संरक्षक मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक तथा डीएफओ रामनगर से जवाब मांगा है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने राज्य के 11 हाथी कॉरिडोर में अतिक्रमण मामले में सुनवाई करते हुए प्रमुख वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक तथा डीएफओ रामनगर को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने हाथियों के मार्गों पर अतिक्रमण, मिर्च की बोरियां रखने, फायरिंग व पटाखे फोडऩे पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने हाथियों को भगाने के लिए मिर्च पाउडर का उपयोग करने, फायरिंग व पटाखे फोडऩे पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कृत्य पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में दिल्ली की संस्था इंडीपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव सोसाइटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के 11 हाथी कॉरिडोर में अतिक्रमण कर व्यावसायिक भवनों का निर्माण कर दिया गया है। तीन हाथी कॉरिडोर नैनीताल जिले के रामनगर-मोहन सीमा पर हैं। ढिकुली क्षेत्र का कॉरिडोर डेढ़ सौ से अधिक व्यावसायिक निर्माणों की वजह से पूरी तरह बंद हो चुका है। मोहान क्षेत्र में निर्माण होने व रात्रि में वाहनों की आवाजाही से हाथियों को कोसी नदी तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न हो रही है। बड़े व्यावसायिक भवनों में होने वाली शादियों और पार्टी में बजने वाले डीजे के शोरगुल से वन्य जीवों पर प्रतिकूल असर हो रहा है। वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलंदाजी रोकने के बजाय हाथियों को रोकने के लिए मिर्च पाउडर व पटाखों का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वह हिंसक हो रहे हैं। पिछले एक साल में हाथियों के हमले की 20 से अधिक घंटनाएं हो चुकी हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार एक हाथी रोजाना 225 लीटर पानी पीता है, प्यास बुझाने के लिए हाथी कोसी नदी में जाते हैं मगर वन विभाग द्वारा उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया है। खंडपीठ ने प्रमुख वन संरक्षक, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, निदेशक सीटीआर व डीएफओ रामनगर को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।