संविदा कर्मचारी को नहीं दी चाइल्ड केयर लीव, हाईकोर्ट गंभीर
हार्इकोर्ट नेे उपनल की संविदा कर्मी को चाइल्ड केयर लीव नहीं देने से संबंधित याचिका पर सुनवार्इ करते हुए ऊर्जा निगम से जवाब तलब किया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: उपनल के माध्यम से नियुक्त महिला कर्मचारी को चाइल्ड केयर लीव नहीं देने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर ऊर्जा निगम के एमडी को नौ अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के आदेश पारित किए हैं।
उपनल की संविदा में कार्यरत कर्मचारी कविता पंत ने याचिका दायर कर कहा है कि वह डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। उसके द्वारा चाइल्ड केयर लीव के लिए आवेदन किया था मगर उपखंड रानीखेत ने उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह संविदा कर्मचारी हैं। संविदा कर्मचारी को चाइल्ड केयर लीव देने का शासनादेश नहीं है। यदि शासनादेश होगा तो दिया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत द्वारा कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दीपा शर्मा बनाम उत्तराखंड राज्य में यह आदेश पारित किया है कि मेटरनिटी लीव व चाइल्ड केयर लीव उन सभी कर्मचारियों को दिया जाए, चाहे वह सरकारी, अर्ध सरकारी संस्थानों में कार्यरत हों, या निजी संस्थानों में अथवा दैनिक वेतनभोगी हों।
सभी को इसका लाभ दिया जाए। इस आदेश के अनुपालन के लिए मुख्य सचिव को जवाबदेह बनाया गया था, मगर पावर कॉरपोरेशन द्वारा याची को चाइल्ड केयर लीव नहीं दी गई। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद आदेश का अनुपालन नहीं करने पर ऊर्जा निगम के एमडी बीसी मिश्रा को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होने के आदेश पारित किए हैं।
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