अस्पतालों का कचरा खुले में फेंकने पर हाईकोर्ट सख्त, मांगा जवाब
अस्पतालों का कचरा खुले में फेंके जाने पर हार्इकोर्ट सख्त हो गया है। कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विपक्षियों से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने सरकारी व निजी अस्पतालों के खुले में फेंके जा रहे बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए विपक्षियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इसमें केंद्रीय पर्यावरण सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, प्रमुख प्रमुख स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव शहरी विकास, सचिव पशुपालन, सचिव मत्स्य विकास पालन, महानिदेशक पर्यावरण, प्रदेश के सभी 13 जिलों के डीएम, मुख्य विकास अधिकारी, सीएमओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय इकाईयां प्रमुख हैं।
नैनीताल निवासी करन आर्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य के समस्त सरकारी व निजी अस्पताल केंद्र सरकार द्वारा प्रख्यापित बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 का उल्लंघन कर रहे हैं। अस्पतालों द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निस्तारण करने के बजाय खुले में फेंका जा रहा है। सभी अस्पतालों के पास कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। इससे यह सार्वजनिक स्थान, राष्ट्रीय राजमार्ग या खुले मैदान में नगर निगम के कूड़ेदान में फेंका जा रहा है।
इस कारण एक ओर पर्यावरण को नुकसान हो रहा है तो दूसरी ओर बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो रहा है।याचिकाकर्ता की ओर से बायो मैनेजमेंट रूल के निहित प्रावधानों को लागू करने की मांग की गई है। साथ ही इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्देशित किया जाए कि बायोमेडिकल वेस्ट को निस्तारित करने संबंधी प्रावधान हाई कोर्ट में प्रस्तुत किए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्रीय पर्यावरण सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, प्रमुख प्रमुख स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव शहरी विकास, सचिव पशुपालन, सचिव मत्स्य विकास पालन, महानिदेशक पर्यावरण, प्रदेश के सभी 13 जिलों के डीएम, मुख्य विकास अधिकारी, सीएमओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय इकाईयों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने तथा मेडिकल प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को नोटिस जारी किया है।
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