हार्इकोर्ट से सरकार को झटका, रोडवेज एम्प्लॉइज यूनियन के चुनाव कराने के आदेश निरस्त
हार्इकोर्ट ने राज्य सरकार को करारा झटका दिया है। कोर्ट ने उत्तराखंड रोडवेज एम्प्लॉइज यूनियन की मान्यता हेतु चुनाव कराए जाने संबंधी सभी आदेशों को निरस्त कर दिया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड रोडवेज एम्प्लॉइज यूनियन की याचिका को स्वीकार करते हुए शासन द्वारा यूनियन की मान्यता हेतु चुनाव कराए जाने संबंधी सभी आदेशों को ट्रेड यूनियन अधिनियम के खिलाफ पाते हुए निरस्त कर दिया है। सरकार ने ट्रेड यूनियन पॉलिसी में केवल नियमित कर्मचारियों को ही मत देने का अधिकार दिया था।
दरअसल, यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने रिट दायर कर मांग की है कि ट्रेड यूनियन के चुनाव को बनाई गई नीति के आधार पर कराए जा रहे चुनाव को असंवैधानिक घोषित किया जाए और ट्रेड यूनियन अधिनियम के विपरीत होने के कारण उक्त नीति को निरस्त किया जाए। पहले एकलपीठ ने उक्त चुनाव परिणाम पर रोक लगाते हुए ट्रेड यूनियन के रजिस्ट्रार से यूनियन के प्रत्यावेदन पर फैसला लेने को कहा था। रजिस्ट्रार ने यूनियन का प्रत्यावेदन निस्तारित करते हुए कहा कि ट्रेड यूनियन अधिनियम में यूनियन को मान्यता हेतु चुनाव कराने का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति संविधान के अनुसार यूनियन का सदस्य बनने की मान्यता रखता हो और वह यूनियन के कार्यों में भाग लेता हो वही सदस्य बन सकता है।
गौरतलब है कि यह चुनाव 2014 में हुए थे जिसपर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश तक रोक लगा दी है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए शासन द्वारा यूनियन की मान्यता हेतु चुनाव कराए जाने संबंधी योजना और इस आधार पर परिवहन निगम द्वारा चुनाव कराए जाने संबंधी आदेशों को ट्रेड यूनियन अधिनियम के विपरीत मानते हुए निरस्त दिया। इसके साथ ही परिवहन निगम में पंजीकृत हर यूनियन को अपने सदस्यों के संबंध में (नियमित हो या अस्थायी) उत्तर प्रदेश आद्योगिक एवं श्रम विवाद अधिनियम के अंतर्गत रोडवेज प्रबंधन के समक्ष कार्यवाही करने का अधिकार होगा। उक्त आदेश का महत्व इसलिए भी है कि रोडवेज में नियमित कर्मचारियों के अलावा संविदा कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है।
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