हार्इकोर्ट का राज्य सरकार को आदेश, विक्षिप्तों के पुनर्वास पर बनाएं नीति
हार्इकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त आदेश दिए हैं कि विक्षिप्तों के पुनर्वास के लिए नीति तैयार की जाए।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विक्षिप्तों के पुनर्वास के लिए नीति तैयार करने के सख्त आदेश पारित किए हैं। साथ ही राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि विक्षिप्त बच्चों को बंधक बनाकर न रखा जाए और उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न होने पाए। कोर्ट ने छह घंटे के भीतर रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) के सुभाष कॉलोनी निवासी चांदनी पुत्री नारायण दास को बंधन से मुक्त कराकर सेलाकुई(देहरादून) मानसिक अस्पताल तथा रुद्रप्रयाग के बंधक पंकज राणा को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराने के सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मानसिक रोगियों को बिना माता-पिता की सहमति व बेहोशी के बिना बिजली करंट के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी है।
हरिद्वार निवासी डॉ. विजय वर्मा की ओर से मानसिक रोग से ग्रसित बच्चों के पुनर्वास को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में विस्तृत आदेश पारित किया। जिसमें मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों के परिवारों को 50 हजार की एकमुश्त व 5500 रुपये बच्चे की सुरक्षा के एवज में देने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने छह माह के भीतर सरकार को एक नीति बनाने को कहा है, जो मानसिक रोग से ग्रसित बच्चों को पंजीकृत करेगी। मानसिक रोग निदान केंद्र का गठन करेगी, ताकि उनकी देखभाल हो सके। प्रत्येक जिले में जिला प्रारंभिक बातचीत केंद्र का गठन करने कहा है। जेल के चिकित्साधिकारियों को आदेश दिया है कि हर तिमाही में रिपोर्ट देंगे कि जेल में मानसिक रोगी हैं या नहीं। राज्य सरकार को आदेशित किया है कि किसी भी मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति पर बिजली करंट का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा, यदि मजबूरीवश करना पड़े तो उसकी माता-पिता की सहमति व बेहोशी के बाद करंट का प्रयोग हो सकता है।
पुलिस अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि यदि उन्हें कहीं भी कोई मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति घूमता दिखाई दे तो उन्हें मानसिक अस्पताल में भर्ती कराएं और मजिस्ट्रेट को सूचना दें। कोर्ट ने आठ माह के भीतर राज्य प्राधिकरण बनाने व मानसिक स्वास्थ्य बोर्ड का गठन करने के आदेश सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि बच्चे, बुजुर्ग व अनपढ़ व्यक्तियों को इलाज के लिए दूर ना भेजें। साथ ही ऐसे संगठनों को इसकी अनुमति ना दे जो मानसिक रोगों के लिए पंजीकृत नहीं हैं।
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