कूड़ा फेंकने व थूकने पर पाबंदी लगाने को बनाए गए एक्ट को लेकर सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने कूड़ा फेंकना व थूकना प्रतिषेध अधिनियम-2016 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दायर याचिका पर स्वास्थ्य सचिव व शहरी विकास सचिव से एक सप्ताह में जवाब तलब किया है।
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने विधानसभा में पारित कूड़ा फेंकना व थूकना प्रतिषेध अधिनियम-2016 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दायर याचिका पर स्वास्थ्य सचिव व शहरी विकास सचिव से एक सप्ताह में जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि जो एक्ट बनाया गया है, उसका बुनियादी ढांचा क्या है? अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता अभिजीत नेगी की जनहित याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि सरकार ने 2016 में सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने, थूकने पर पाबंदी लगाने के लिए एक्ट बनाया था, जिसमें सभी 13 जिलों के शहरी निकायों को शामिल कर सीधे तौर पर उनकी जवाबदेही तय की गई थी। लेकिन पिछले सालों में एक भी चालान इस एक्ट के तहत नहीं किया गया और न ही एक्ट का कड़ाई से अनुपालन किया गया।
याचिकाकर्ता के अनुसार, यह कोरोना संकटकाल चल रहा है और संक्रमण का एक कारण सार्वजनिक स्थान पर थूकना व कूड़ा फेंकना भी हो सकता है, मगर सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। नगर निकाय इस एक्ट को लागू नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठानी चाहिए, ताकि एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन हो।
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर थूकने और कूड़ा फेंकने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि कोई भी व्यक्ति इस तरह की हरकत करते हुए पकड़ा गया तो उस पर भारी भरकम जुर्माना लगाए जाने की व्यवस्था है।
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