24 साल बाद बोतल से बाहर निकला मुजफ्फरनगर कांड का जिन्न
राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान हुए मुजफ्फरनगर कांड को लेकर हार्इकोर्ट ने जिला जज देहरादून से पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
नैनीताल, [जेएनएन]: राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान हुए मुजफ्फरनगर कांड की गुत्थी सुलझने की एक बार फिर उम्मीद जगी है। हाई कोर्ट केे न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने पूरे मामले में सुनवार्इ करते हुए जिला जज देहरादून को आदेश दिये हैं कि दो हफ्तों के भीतर मुजफ्फरनगर कांड की पूरी रिपोट पेश करें। साथ ही राज्य सरकार, सीबीआइ और प्रशासनिक अधिकारी जिला जज देहरादून को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के भी निर्देश दिये हैं। अब मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
आपको बता दें कि अधिवक्ता रमन शाह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट में कहा है कि मुजफ्फरनगर कांड के मामले में दोबारा सुनवाई हो। साथ ही मामले के दोषियों को सजा मिलने और सीबीआई जांच हो, याचिका में कहा गया है कि मामले से जुड़ी फाइल गायब करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
गौरतलब है कि राज्य आंदोलन के दौरान 28 आंदोलनकारियों की मौत हुई, सात के साथ बलात्कार की घटना और 17 आंदोलनकारियों के साथ छेड़छाड की घटना सीबीआइ की रिपोट में सामने आई है। हांलाकि 1996 में सीबीआइ ने तत्कालीन डीएम मुजफ्फरनगर अनंत कुमार सिंह समेत अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में चार्जशीट दाखिल की।
लेकिन इसके खिलाफ 2003 में डीएम ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने डीएम को राहत देते हुए मामले पर स्टे लगा गिया। जिसके बाद 22 अगस्त 2003 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने अपने फैसले को रिकॉल कर लिया। फिर मामले में सुनवाई नहीं हो सकी तो मामले से जुड़ी फाइल भी गायब हो गई। अब 24 साल बाद फिर मुजफ्फरनगर कांड का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है।
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